निर्णय प्रक्रिया के लिए कार्रवाई, सुपरविजन व उत्तरदायित्व चैनल
सेल प्रतियोगी पर्यावरण में कार्य कर रही एक वाणिज्यिक संस्था है। इसे दोनों, स्वदेशी एवं विदेशी उत्पादकों से प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में बने रहने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया की गति अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। यह ठीक है कि कम्पनी में निर्णय लेने के लिए परिभाषित प्रणाली मौजूद है, परन्तु हर समय इस पर कड़ाई से अमल नहीं किया जा सकता। आमतौर पर, ऐसे प्रस्ताव जिन पर निर्णय लिया जाना है उपयुक्त स्तर पर वित्तीय पक्षों व उनके महत्व तथा समय सीमा के आधार पर कार्यपालकों द्वारा शुरू किए जाते हैं। सामान्य तौर पर प्रस्ताव सहायक प्रबन्धक/उप प्रबन्धक/प्रबन्धक के स्तर पर शुरू होते हैं। इन्हें संयुक्त निदेशक/अतिरिक्त निदेशक/कार्यपालक निदेशक/निदेशक/ अध्यक्ष द्वारा स्वीकृति प्रदान की जाती है। स्वीकृति कौन देगा यह अधिकारियों को प्रदत्त स्वीकृति आधिकार पर निर्भर होता है। जो प्रस्ताव अध्यक्ष के अधिकारों से बाहर होते हैं उन्हें स्वीकृति निदेशक मण्डल प्रदान करता है।
प्रयास यह किया जाता है की स्वीकृति प्रदानकर्ता अधिकारी के पास पहुंचने से पूर्व प्रस्ताव कम से कम तीन स्तरों से होकर गुजरे। प्रस्ताव पर वरिष्ठ प्रबन्धक/वरिष्ठ उपनिदेशक के स्तर पर भी विचार किया जाता है। आवश्यकता होने पर यह वित्त विभाग से प्रदत्त अधिकारों के आधार पर उपयुक्त स्तर पर स्वीकृति के लिए जाता है। यदि मामले दो से अधिक विभागों में विचारार्थ होते हैं तो निर्णय तेजी से करने के लिए सम्बद्ध विभागों के उपयुक्त स्तरों के कार्यपालकों की बहु-विभागीय समिति का गठन किया जाता है। जहां तक सम्भव हो एक ही विभाग में या विभागों के बीच लिखित में विरोधात्मक तर्कों से दूर रहा जाता है।