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पर्यावरण प्रबन्धन डिवीजन, (इएमडी) सेल का विवरण।

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पर्यावरण प्रबन्धन डिवीजन, (इएमडी) सेल का विवरण

पर्यावरण प्रबन्धन डिवीजन सेल की एक यूनिट है। यह 6 गणेश चन्द्र एवेन्यू, 5वीं मंजिल, कोलकाता-700013 स्थित है। 

उद्देश्य व कार्य

पर्यावरण प्रबंधन प्रभाग

1989 में स्थापित, पर्यावरण प्रबंधन प्रभाग (ईएमडी), आईएसओ 9001 के मानक वाली एक निगमित इकाई है l यह इकाई पर्यावरण संरक्षण और संसाधन की बेहतरी के लिए निम्नलिखित विविध गतिविधियों को शामिल करते हुए संयंत्रों, खदानों और इकाईयों के प्रयासों के एकत्रीकरण के लिए केंद्रीय भूमिका निभाती है:

सेल इकाईयों और नियामक अभिकर्ताओं के बीच एक सक्रिय अंतरापृष्ठ,

निगरानी और मूल्यांकन,

प्रौद्योगिकी प्रसार,

जागरूकता अभियान और कौशल उन्नयनl

इनके अतिरिक्त, संयंत्रों, खदानों और इकाईयों के निरंतर सहयोग से ईएमडी विभिन्न कार्यशालाओं और इकाईयों सहीत सेल के मालगोदामों में आईएसओ 14001 से जुड़े पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस) के प्रचार के लिए प्रयत्नशील रहा है l

 

ईएमडी की मुख्य गतिविधियाँ

 

 

 

पर्यावरण प्रबंधन

पर्यावरण में प्रदूषकों के उत्सर्जन एवं बहाव के स्तर को निर्धारित मानकों के अंतर्गत रखते हुए और प्रोसेस एवं टाउनशिप से उत्पन्न होने वाले कचरे का व्यवस्थापन पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन सम्बंधित नियमों के तहत करते हुए, सेल संयंत्र और खदान पारिस्थितिकीय संतुलन को बिगाड़े बिना अपने प्रक्रियाओं का संचालन करते है l सेल ने निगमित पर्यावरण नीति (कॉर्पोरेट एनवायरनमेंट पालिसी) के अनुरूप अपने पर्यावरण सम्बन्धी दृष्टिकोण को भी विकसित किया है जो ना केवल अनुपालन की आवश्यकता को सम्बोधित करता है बल्कि इससे आगे जाने के प्रयासों पर भी जोर डालता है l इसके अतिरिक्त, सेल अपने सभी हितधारकों की चिंताओं का समाधान करने और उनमें पर्यावरण सम्बंधित अपने दृष्टीकोण का प्रसार करने के लिए प्रतिबद्ध है l

शुरुआत से ही, सेल के संयंत्र और खदान अनवरत रूप से इस दिशा में कठोर प्रयास कर रहे हैं ताकि विभिन्न संचालनों का निष्पादन पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से हो सके l इसके परिणामस्वरुप, उत्सर्जनों और बहावों के स्तर में कमी आई है, ठोस अपशिष्टों के पुनः उपयोग एवं हरित विकास में भी वृद्धि हुई है l सेल के संयंत्र और खदान प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों/सुविधाओं का कुशलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं और पुनर्निर्माण एवं नवीनीकरण के माध्यम से नियमित रूप से इनका अनुरक्षण किया जा रहा है और आवश्यकता अनुसार उनमें सुधार भी लाया जा रहा है, ताकि दिन प्रतिदिन कठोर हो रहे पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन हो सकेl

सम्मिलित प्रयासों से, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) एमिशन लोड में उत्तरोत्तर कमी आ रही है l इसके अतिरिक्त, विस्तार एवं आधुनिकीकरण कार्यक्रमों के दौरान, नवीनतम प्रदूषण नियंत्रण सुविधाओं के साथ-साथ, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकीयों को कार्यान्वित किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप, प्रदूषण स्तर और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में भी कमी आई है l

इसी प्रकार से, इस्पात संयंत्रों और खदानों में विभिन्न कार्यशालाओं में स्थापित एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांटों (ईटीपी) का प्रभावशाली संचालन करके, स्थानीय जल पुनःसंचरण प्रणालियों का कायाकल्प करके और संशोधित अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण के माध्यम से, जल प्रदूषण के स्तर को कठोरतापूर्वक नियंत्रित किया जाता है l संयंत्रों एवं खदानों के विभिन्न संचालनों से निकलने वाले अपशिष्ट जल का संशोधन ईटीपी’यों में किया जाता है और सीमा में स्थित मुहानों के माध्यम से प्रवाह किया जाता है, जो सम्बंधित निर्धारित मानदंडों के अनुकूल होता हैl

पिछले पाँच वर्षों के दौरान, सेल के पर्यावरणीय प्रदर्शन में आये सुधार को नीचे दर्शाया गया है:

स्पेसिफिक एफ्लुएंट लोड लगभग 26% तक घट गया है

स्पेसिफिक एफ्लुएंट डिस्चार्ज लगभग 18% तक घट गया है

स्पेसिफिक पार्टिकुलेट मैटर एमिशन लगभग 14% तक घट गया है

स्पेसिफिक कार्बन डाइऑक्साइड एमिशन लगभग 5% तक घट गया है

स्पेसिफिक वाटर कंसम्पशन 1% से अधिक घट गया है

ब्लास्ट फर्नेस स्लैग का उपयोग 3% से अधिक बढ़ गया है l

 

स्वच्छ प्रौद्योगिकीयों और अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रण उपकरण/सुविधाओं का अभिग्रहण:

अपने वृहद् विस्तार एवं आधुनिकीकरण कार्यक्रमों के दौरान, अपनाई गयी कुछ मुख्य स्वच्छ प्रौद्योगिकीयों और प्रदूषण नियंत्रण सुविधाओं के क्रियान्वन की दिशा में उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

बीएसपी, आरएसपी एवं आईएसपी में उच्चतर क्षमता वाले (ऊँचे) कोक ओवन बैटरियों की स्थापना जिसमें लैंड बेस्ड पुशिंग एमिशन कंट्रोल सिस्टम, कोक ड्राई कूलिंग प्लांट जैसी सुविधाएं उपलब्धl

आरएसपी एवं आईएसपी में सिंटर संयत्रों में उन्नत इग्निशन प्रणाली (मल्टी-स्लिट बर्नर्स), सिंटर कूलर वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम जैसी सुविधाओं का प्रावधान l

बीएसपी, आरएसपी एवं आईएसपी में उच्चतर क्षमता वाले ब्लास्ट फर्नेसों की स्थापना जिसमें टॉप गैस प्रेशर रिकवरी टरबाइन, वेस्ट हीट रिकवरी, कोल् डस्ट इंजेक्शन, कास्ट हाउस डी-डस्टिंग, कास्ट हाउस स्लैग ग्रनुलेशन और टारपीडो लैडल जैसी प्रणालियाँ उपलब्धl

सम्पूर्ण सेल संयंत्रों में ऊर्जा की प्रखर खपत वाले इंगोट रूट को चरणबद्ध तरीके से हटानाl

सभी संयंत्रों में ऊर्जा खपत और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने हेतु रोलिंग मिल्स में पुशर टाइप रीहीटिंग फर्नेसों के स्थान पर वाल्किंग बीम रीहीटिंग फर्नेसों की स्थापनाl

नई पहल

आरएसपी में सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग:

आरएसपी ने हाल ही में सड़क निर्माण के लिए हॉट मिक्स संयंत्र के जरिए प्लास्टिक कचरे के उपयोग के लिए एक हरित पहल की है l एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में, एक किलोमीटर सड़क का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है l आरएसपी की अन्य सड़कों एवं बाकी संयंत्रों में, सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग करने हेतु योजना बनाई जा रही हैl

 

आरएसपी में कार्बन डाइऑक्साइड के बायो-सेक्वेस्ट्रेशन के लिए परियोजना:

कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने और उत्पादित कार्बन को प्रणाली में फिर से लौटा देने के उद्देश्य हेतु, सेल अपने कार्बन फुटप्रिंट का मूल्यांकन कर रहा है और साथ ही साथ अपने वर्तमान जैविक संसाधनों के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड के अधिग्रहण के सामर्थ्य का भी मूल्यांकन कर रहा है l वनीकरण के माध्यम से कार्बन अधिग्रहण पर राउरकेला इस्पात संयंत्र में एक परियोजना का आरंभ किया गया है l इस परियोजना को पूर्ण रूप देने के लिए मैसर्स. ट्रॉपिकल फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, जबलपुर को फ़रवरी 2014 में नियुक्त किया गया हैl यह परियोजना मार्च 2019 तक जारी रहेगी l

 

जल संरक्षण – बेहतर कल की ओर एक अनवरत अभियान

कई वर्षों से, सेल संयंत्र और खदान अपने संचालन के लिए जल की खपत में कमी लाने के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं l फिर भी, इस अमूल्य संसाधन के अधिक संरक्षण हेतु, सेल के संयंत्रों एवं नगरों और आसपास के समाज में जल के संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है l इस अभिनव प्रयास को प्रोत्साहन देने के लिए जनवरी 2017 को “जल संरक्षण माह’’ के रूप में मनाया गया और इसके उपरांत इस दिशा में निरंतर प्रयास किये जा रहे हैl

सभी संयंत्रों, खदानों और इकाइयों में कर्मचारियों, उनके परिवार के सदस्यों और सभी हितधारकों के बीच जल संरक्षण की आवश्यकता के सम्बन्ध में जागरूकता का निर्माण करने के लिए एक माह तक जागरूकता कार्यक्रमों को निष्पादित किया गया l

साथ ही साथ, पिछले वर्ष के दौरान जल की खपत में प्रशंसनीय कमी लाने और जल संरक्षण पर एक दिव्य दृष्टिकोण विकसित करने के लिए, संयंत्रों एवं खदानों में छोटी एवं लम्बी अवधि के कार्यान्वयन योग्य कार्ययोजनाओं को सूत्रित किया गया l छोटी अवधि के कार्ययोजनाओं को पहले ही कार्यान्वित किया जा चुका है जिसके फलस्वरूप, जल की खपत कम हो गई है l लम्बी अवधि की कार्ययोजनाएँ क्रियान्वन के विभिन्न चरणों में हैं l जल संरक्षण में अपेक्षित सुधार की शुरुआत हो गयी है l

 

इसके अतिरिक्त, सभी संयंत्रों एवं खदानों के लिए “जीरो लिक्विड डिस्चार्ज” (जेडएलडी) अपनाना एक अधिदेश बन गया है l इस उद्देश्य से, सेल के सभी संयंत्रों एवं इकाइयों में पहले से ही आवश्यक कदम उठाए गए है l

 

पॉली क्लोरीनेटेड बाय फिनाइल्स (पीसीबी) का पर्यावरण अनुकूल निस्तारण के लिए बीएसपी में सुविधा

 

पॉली क्लोरीनेटेड बाय फिनाइल्स (पीसीबी), जो कि अत्यधिक विषाक्त एवं पर्यावरणीय प्रदूषक होते है, कृत्रिम जैविक रसायन की श्रेणी में आते हैं और इनका उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है l स्टॉकहोम सम्मलेन नामक एक अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध के अंतर्गत इन रसायनों को परसिस्टेंट आर्गेनिक पोलुटेंट्स (पीओपी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है l इस संधि के तहत पीओपी के उत्पादन और उपयोग को खत्म या प्रतिबंधित करना है। पॉली क्लोरीनेटेड बाय फिनाइल्स के नियमन हेतु भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अप्रैल, 2016 में एक अधिसूचना जारी की हैl अधिसूचना के अनुसार, किसी भी स्वरुप में पीसीबी का उपयोग 31 दिसम्बर, 2025 तक पूरी तरह से निषिद्ध किया जायेगा l

देश में संचित पीसीबी के प्रबंधन एवं निस्तारण करने हेतु अत्याधुनिक सुविधा को विकसित करने के लिए और इस विषय में देश की आवश्यकता को समझते हुए, बीसीपी ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (भारत सरकार) और यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन (यूनिडो) की साझेदारी में संयंत्र स्थल पर पर्यावरण-अनुकूल निस्तारण सुविधा को स्थापित करने के लिए एक परियोजना की पहल की है l परियोजना को यूनिडो के माध्यम से ग्लोबल इनवायरनमेंट फैसिलिटी (जीईएफ) द्वारा आंशिक रूप से अनुदान दिया गया है l सेल, आधारिक संरचनाएँ जैसे कि भूमि का प्रावधान, निर्माण, नागरिक कार्य, जनोपयोगी सुविधाओं और श्रमिक आदि के द्वारा परियोजना को सह-वित्त प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है l 2018-19 के दौरान, इस परियोजना का कार्य संपन्न हो जाने की सम्भावना है l

 

आईएसओ-14001 के साथ जुड़े पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस) का क्रियान्वन

पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली का क्रियान्वन पहले ही लगभग सभी संयंत्रों एवं खदानों में कर दिया गया है एवं वर्तमान में वही व्यवहार में है l उसके अतिरिक्त, निम्नलिखित सेल इकाईयों को हाल के वर्षों में ईएमएस के साथ प्रमाणित किया गया है:

चंद्रपुर फेरो एलॉय संयंत्र, चंद्रपुर

बारसुआ लौह अयस्क खदान, बारसुआ

मिश्रधातु इस्पात संयंत्र, दुर्गापुर

अहमदाबाद, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, विशाखापटनम, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, दुर्गापुर, डानकुनी, बोकारो और बैंगलोर में स्थित सीएमओ के मालगोदाम

व र्ष 2017-18 के दौरान, कानपुर में स्थित मालगोदाम को भी ईएमएस से अधिकृत कर दिया गया है l यह प्रणाली वर्तमान में ईस्को इस्पात संयंत्र में क्रियान्वन के अंतर्गत है l

 

हरियाली में वृद्धि:

पेड़-पौधे कार्बन सिंक के रूप में पारिस्थितिकी प्रणालियों और कार्यों को संतुलित करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं l पेड़ों के विराट योगदान को मन में रखते हुए, सेल अपने स्थापना से ही संयंत्रों और खदानों में व्यापक वनीकरण कार्यक्रम अपनाता आ रहा है l

आरंभ से ही, कुल मिलाकर 201.54 लाख पौधों को रोपा गया है l वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान, एक विशेष अभियान के माध्यम से लगभग 8.28 लाख पौधों को सेल संयंत्रों, खदानों और गोदामों में रोपा गया है l

 

सतत विकास परियोजनाएँ:

जैव-विविधता को बनाये रखने एवं उसमें वृद्धि लाने और पारिस्थितिकी प्रणालियों की सेवाओं को फिर से बहाल करने के लिए निम्नीकृत पारिस्थितिकी प्रणालियों को पुनः स्थापित करना और उन्हें फिर से बहाल करना आवश्यक है l दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से सेल द्वारा पूर्णपानी चूनापत्थर खदानों के और बोलानी अयस्क खदानों के खोदे गए क्षेत्रों और खाली खदानों के जलस्रोतों को पारिस्थितिकीय पुनर्स्थापना के लिए लिया गया है l

 

‘4R’ (रिडक्शन, रीयूज, रीसायकल एवं रिकवरी) नीति के उपयोग से बीएफ और बीओएफ स्लैग जैसे अपशिष्टों के पुनःउपयोग में वृद्धि करने के प्रयास

संयंत्र की सीमा के अन्दर उत्पन्न किये गए अपशिष्टों के उपयोग में वृद्धि करने के दृष्टिकोण से, निम्नलिखित आर&डी आधारित क़दमों को हाल ही में उठाया गया है:

भाप के उपयोग से बीओएफ स्लैग का मैचुरिंग

बीओएफ स्लैग का ड्राई ग्रैनुलेशन

बीओएफ स्लैग का रेल पथ की गिट्टी के रूप में उपयोग

बीएफ एवं बीओएफ स्लैग का प्राकृतिक समूहों के विकल्प के रूप में उपयोग

बीएफ/बीओएफ स्लैग का सड़क निर्माण में उपयोग

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यह स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की आधिकारिक वेबसाइट है, जो भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।

डिज़ाइन और विकास द्वारा:
appentus

एपेंटस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, जयपुर, राजस्थान

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  • Last Updated: 22-Jul-2025
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