21 सूचना आयुक्तों के अधिकार व कार्य क्षेत्र क्या हैं ?
- केन्द्रीय सूचना आयोग/राज्य सूचना आयोग का कर्तव्य है कि वह किसी भी ऐसे व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करे:
- जो सूचना के लिए प्रार्थना इसलिए दाखिल नहीं कर सका क्योंकि पीआईओ की नियुक्ति नहीं की गई है।
- जिसे मांगी गई सूचना देने से इन्कार किया गया है।
- जिसे निर्धारित समय सीमा में सूचना के लिए अपनी प्रार्थना का कोई प्रत्युत्तर प्राप्त नहीं हुआ है।
- जो यह समझे कि उससे मांगी जा रही फीस तर्कसंगत नहीं है।
- जो यह मानता हो कि उसे दी गई सूचना पूरी नहीं है या गलत है या भ्रामक है, और
- इस कानून के अन्तर्गत सूचना प्राप्त करने से सम्बद्ध कोई अन्य मामला।
- यदि यथोचित आधार हों तो जांच के आदेश देने का अधिकार।
- सीआईसी/एससीआईसी के पास सिविल अदालतों के निम्न प्रकार के अधिकार होंगे:
- लोगों को उपस्थित होने के लिए बुलावा भेजने, उन्हें मौखिक या लिखित में शपथ-पत्र पर लिखित में साक्ष्य देने तथा दस्तावेज या अन्य चीजें प्रस्तुत करने को कहने के अधिकार।
- दस्तावेजों की वसूली और जांच का अधिकार।
- शपथ-पत्र पर गवाही प्राप्त करना।
- किसी अन्य अदालत या कार्यालय से सार्वजनिक रिकार्डों की प्रतियां या रिकार्ड मंगवाना।
- दस्तावेजों या गवाहों की जांच के लिए समन जारी करना।
- नियत किसी अन्य मामले में कार्रवाई।
- तथ्य का पता लगाने के लिए जांच के दौरान सीआईसी/एससीआईसी को इस कानून के अधीन सभी रिकार्ड (छूट में आने वाले रिकार्डों सहित) दिए जाने चाहिएं।
- सार्वजनिक संस्था से अपने निर्णयों का अनुसरण करवाने का अधिकार जिसमें:
- किसी विशेष प्रारूप में सूचना उपलब्ध कराना।
- सार्वजनिक संस्था को ऐसे सभी संस्थानों में जहां पीआईओ/एपीआईओ नियुक्त नहीं हैं इनकी नियुक्ति का निर्देश देना।
- सूचना और सूचना की श्रेणियों का प्रकाशन।
- रिकार्डों के प्रबंधन, रखरखाव और समाप्ति की प्रक्रिया में आवश्यक परिवर्तन करना।
- आरटीआई के अधिकारियों के प्रशिक्षण संबंधी प्रावधान में विस्तार।
- इस कानून के अनुसरण के सम्बन्ध में सार्वजनिक संस्था से वार्षिक प्रतिवेदन प्राप्त करना।
- प्रार्थी को हुई किसी भी प्रकार की क्षति अथवा हानि की प्रतिपूर्ति।
- इस कानून के अन्तर्गत दण्ड देना, या
- प्रार्थना की अस्वीकृति
22 सीआईसी की रिपोर्टिंग प्रक्रिया क्या है ?
- केन्द्रीय सूचना आयोग वर्ष के अन्त में इस कानून की व्यवस्थाओं के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार को एक वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा। राज्य सूचना आयोग राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजेगा।
- प्रत्येक मंत्रालय का यह कर्तव्य है कि वह अपने सार्वजनिक संस्थानों से प्रतिवेदन जमा करे और उन्हें केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी हो, के पास भेजे।
- प्रत्येक रिपोर्ट में प्रत्येक सार्वजनिक संस्था द्वारा प्राप्त प्रार्थनाओं की संख्या के सम्बन्ध में विवरण, अस्वीकृतियां और अपील, की गई अनुशासन कार्रवाई का विवरण, जमा किए गए फीस तथा शुल्क आदि शामिल किए जाएंगे।
- केन्द्रीय सरकार केन्द्रीय सूचना आयोग की रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष के अन्त में संसद के समक्ष प्रस्तुत करेगी। सम्बद्ध राज्य सरकार राज्य सूचना आयोग की रिपोर्ट विधान सभा (और विधान परिषद, जैसा भी हो) के पटल पर रखेगी (एस25)।
23 दण्ड देने सम्बन्धी प्रावधान क्या हैं ?
प्रत्येक पीआईओ को प्रतिदिन 250 रुपये का जुर्माना जो अधिकतम 25000 रुपये तक हो सकता है, किया जा सकता हैं। इनके कारण हैं
- प्रार्थना पत्र स्वीकार न करना।
- बिना किसी युक्तिसंगत कारण के सूचना देने में देरी करना।
- जान-बूझकर सूचना न देना।
- जान-बूझकर अपर्याप्त, गलत और भ्रामक सूचना देना।
- मांगी गई सूचना को मिटाना।
- किसी भी तरीके से सूचना देने में बाधा डालना।
केन्द्र तथा राज्य स्तरों पर सूचना आयोगों को दण्ड देने का अधिकार होगा। सूचना आयोग कानून का उल्लंघन करने पर गलती करने वाले पीआईओ के खिलाफ अनुशासन कार्रवाई की सिफारिश भी कर सकते हैं। (एस20)
24 आईसी/सीआईसी के निर्णयों पर अदालतों का कार्यक्षेत्र क्या है ?
1. इस अधिनियम के अन्तर्गत दिए गए किसी भी आदेश के खिलाफ निचली अदालतें कोई प्रार्थना या अरजी दाखिल नहीं कर सकती। (एस23) परन्तु उच्चतम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में संविधान के अनुच्छेद 32 और 225 के अन्तर्गत याचिका दायर करने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
25 केन्द्रीय/राज्य सरकारों की भूमिका क्या है ?
- आरटीआई के बारे में जनता विशेषकर पिछड़े लोगों के लिए शैक्षिक कार्यक्रमों का विकास।
- सार्वजनिक संस्थाओं को ऐसे कार्यक्रमों के विकास और आयोजन के लिए प्रोत्साहन देना।
- नता को समय पर ठीक-ठीक सूचना देने को बढ़ावा देना।
- अधिकारियों को प्रशिक्षण देना तथा प्रशिक्षण साज-सामान का विकास।
- अलग-अलग सरकारी भाषा में जनता के मार्गदर्शन के लिए सूचना एकत्र करना और उसका प्रचार-प्रचार।
- पीआईओ के नाम, पदनाम, डाक पते और सम्पर्क के बारे में विवरण तथा अदा की जाने वाली फीस, तथा प्रार्थना अस्वीकृत होने पर शिकायत के निराकरण के बारे में सूचनाओं का प्रकाशन। (एस26)
26 सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के लिए नियम बनाने के अधिकार किसके पास हैं ?
केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों तथा एस2 (ई) मंे वर्णित सक्षम अधिकारी को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की व्यवस्थाओं के पालन के लिए नियम बनाने के अधिकार प्राप्त हैं। (एसअधिकार 27 एवं एस28)
27 इस अधिनियम के कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयों के समाधन के अधिकार किसके पास हैं ?
यदि अधिनियम की व्यवस्थाओं को प्रभावी बनाने में किसी प्रकार की कठिनाई सामने आती है तो केन्द्रीय सरकार सरकारी राजपत्र में आदेश प्रकाशित कर आवश्यक और कठिनाई दूर करने के लिए व्यवस्था कर सकती हैं। (एस30)
28 अपील प्राधिकारी कौन है ?
- प्रथम अपील: निर्धारित समय सीमा के समाप्त होने से 30 दिन के भीतर सम्बद्ध सार्वजनिक संस्था में पीआईओ के पद से किसी वरिष्ठ अधिकारी को या निर्णय मिलने के दिन से 30 दिन के भीतर (अपील अधिकारी यदि ठीक समझे तो देरी माफ भी कर सकता है)।
- द्वितीय अपील: केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी हो, प्रथम अपील प्राधिकारी द्वारा निर्णय दिए जाने अथवा देने के 90 दिन के भीतर (आयोग यदि पर्याप्त कारण पाता है तो देरी माफ भी कर सकता है)।
- पीआईओ के निर्णय के विरुद्ध तृतीय पक्ष प्रथम अपील प्राधिकारी के समक्ष 30 दिन के भीतर अपील दायर कर सकता है और प्रथम अपील पर निर्णय मिलने के 90 दिनों के भीतर उपयुक्त सूचना आयोग, जो दूसरा अपील प्राधिकारी भी है, के समक्ष अपील दायर कर सकता है।
- सूचना न देने को तर्कसंगत साबित करने की जिम्मेदारी पीआईओ की है।
- प्रथम अपील पर कार्रवाई प्राप्ति के दिन से 30 दिन के भीतर की जाएगी। यह अवधि यदि आवश्यक हो तो 15 दिन तक बढ़ाई जा सकती है। (एस19)