- प्रबंधन की प्रचालन उत्कृष्टता बढ़ाने पर केन्द्रित पहल से वित्त वर्ष 2016-17 की चारों तिमाहियों में सेल की EBIDTA सकारात्मक
- सेल ने वित्त वर्ष 2016-17 में विक्रय कारोबार में 14% बढ़ोत्तरी दर्ज की
- वित्त वर्ष 2016-17 में सेल के घाटे में करीब 30% की कमी
नई दिल्ली, 30 मई 2017: स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के निदेशक मण्डल ने आज कंपनी के वित्त वर्ष 2016-17 के अंकेक्षित वित्तीय परिणाम को रिकार्ड में लिया। प्रबंधन की प्रचालन उत्कृष्टता को बढ़ाने पर लगातार ज़ोर से सेल लगातार चार तिमाहियों से EBIDTA बढ़त को बरकरार रखे हुए है। सेल ने वित्त वर्ष 2016-17 में रुपया 671.6 करोड़ रुपये EBIDTA दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में (-) 2203 करोड़ रुपया रहा था। इस तरह से सेल ने वित्त वर्ष 2016-17 में EBIDTA में कुल 2875 करोड़ रुपये की बढ़त हासिल की है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2016-17 में अपने घाटे को करीब 30% कम किया है और उत्पादन, विक्रय और उत्पादकता समेत समग्र रूप से बेहतर निष्पादन किया है।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2016-17 में करीब 14% बढ़ोत्तरी दर्ज करते हुए 49,180 करोड़ रुपए का विक्रय कारोबार किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 43,294 करोड़ रुपया था। सेल ने वित्त वर्ष 2016-17 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुक़ाबले 8% वृद्धि दर्ज करते हुए, किसी भी वित्त वर्ष में अब तक का सबसे अधिक विक्रय दर्ज किया। वित्त वर्ष 2016-17 में सेल ने कुल 131.1 लाख टन का विक्रय किया है, जो वित्त वर्ष 2015-16 में 121.2 लाख टन था। इसी तरह से उत्पादन के क्षेत्र में सेल ने वित्त वर्ष 2015-16 के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2016-17 में विक्रेय इस्पात उत्पादन में 12% की वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2016-17 में तकनीकी आर्थिक मानकों में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुक़ाबले कोक दर में 3% और ब्लास्ट फर्नेस उत्पादकता में 6% सुधार दर्ज किया गया है। वित्त वर्ष 2016-17 में कंपनी का कर-पश्चात-लाभ 30% सुधार के साथ (-) 2833 करोड़ रुपया रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में (-) 4021 करोड़ रुपया था।
वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान कोयले की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि ने निष्पादन को प्रभावित किया और समग्र लाभप्रदता को कमजोर किया। वित्त वर्ष 2016-17 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुक़ाबले आयातित और घरेलू दोनों कोल के लागत में 4300 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई। इससे वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में वित्त वर्ष 2016-17 में शुद्ध विक्रय प्राप्ति में हासिल की गई महत्वपूर्ण बढ़ोत्तरी प्रभावहीन हो गई। इसके साथ ही, ब्याज और मूल्यह्रास के कारण परिसंपत्तियों के पूंजीकरण के बढ़े शुल्क ने भी लाभ को प्रभावित किया है। कंपनी ने अपने मानव संसाधन को युक्तियुक्त ढंग से उपयोग करने के लिए एक दीर्घकालीन रणनीति के तहत वित्त वर्ष 2016-17 में एच्छिक सेवानिवृत्त (वीआर) योजना के तहत एक-मुश्त खर्च भी किया है।
इन चुनौतियों के बावजूद, कंपनी ने पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में मानव संसाधन खर्चे में 8% की कमी हासिल करने में सफलता पाई है। इस दौरान कुल लागत में प्रति टन 2% का सुधार दर्ज किया गया है। नई सुविधाओं से उत्पादन बढ़ाने, आधुनिकीकृत इकाइयों का स्थिरीकरण करने, तकनीकी-आर्थिक मानकों को बेहतर बनाने, उपभोक्ताओं पर ध्यान केन्द्रित करने पर प्रबंधन के ज़ोर और विभिन्न आंतरिक संचार अभियानों के जरिए कार्मिक सहभागिता को बढ़ाने इत्यादि से लेकर गहन आंतरिक उपायों की वजह से सेल ने भौतिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर बेहतर प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर सेल अध्यक्ष श्री पी.के. सिंह ने कहा, “कंपनी के निरंतर प्रचालन उत्कृष्टता हासिल करने के प्रयासों ने लगातार चौथी बार EBIDTA की बढ़ोत्तरी में मदद की है। आयातित और घरेलू कोल के मूल्यों में भारी बढ़ोत्तरी की वजह से शुद्ध विक्रय प्राप्ति के निष्प्रभावी होने के बावजूद, हम घाटे को कम करने में सफल रहे। इस वित्त वर्ष में निष्पादन के सभी क्षेत्रों में बेहतर नतीजे हासिल हुए हैं।
वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी ने 150 लाख टन से अधिक विक्रेय इस्पात के उत्पादन का लक्ष्य तय किया है और नई आधुनिकीकृत सुविधाओं जैसे भिलाई की यूनिवर्सल रेल मिल, राउरकेला की नई प्लेट मिल, बर्नपुर और दुर्गापुर की स्ट्रक्चरल मिल, बोकारो की कोल्ड रोलिंग मिल एवं बर्नपुर की वायर रॉड मिल से वैल्यू-एडेड-प्रोडक्ट के उत्पादन पर ज़ोर दिया जाएगा। आने वाले समय में, हम अपने प्रोडक्ट बास्केट में रेडी-टू-यूज उत्पाद की मात्रा में बढ़ोत्तरी करने, संयंत्र से उत्पादन बढ़ाने, नई सुविधाओं में तेजी लाने, शुद्ध विक्रय प्राप्ति बढ़ाने के लक्ष्य के प्रतिबद्ध रहेंगे। इस साल हिमाचल प्रदेश के कन्द्रोरी और उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर में टीएमटी के उत्पादन के लिए सेल के दो नए स्टील प्रोसेसिंग यूनिट का प्रचालन शुरू होगा। प्रबंधन द्वारा कंपनी के निष्पादन को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए लिए जा रहे ठोस प्रयासों के परिणाम आने वाले समय में दिखाई पडेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि, “राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत उत्पादन और उपभोग दोनों संदर्भों में घरेलू इस्पात उद्योग के लिए एक प्रगतिशील और महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया गया है। बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार के ज़ोर ने पूरे देश में इस्पात की खपत को बहुत अधिक बढ़ावा दिया है। हम उत्पादन, गुणवत्ता और उत्पाद को बाज़ार में लाने के मसले पर मौजूदा स्थिति से और अधिक ऊंचाई तय करने के लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं। ***