चार प्रमुख परियोजनाएं चालू होने के लिए तैयार
नई दिल्ली ः स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के अध्यक्ष श्री सी एस वर्मा ने पश्चिम बंगाल के बर्नपुर में स्थित इस्को स्टील प्लांट (आईएसपी) का 12 अगस्त को दौरा किया और इसके करीब रुपया 16408 करोड़ की लागत से लागू किए जा रहे आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण कार्यक्रम के प्रगति की समीक्षा की। जबकि आईएसपी के आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण कार्यक्रम के तहत अधिकतर परियोजनाएं पूरा होने के उन्नत चरण में हैं और कुछ तो चालू होने के करीब हैं।
भारी वर्षा के बीच श्री वर्मा ने अपने दौरे के दौरान आधुनिकीकरण परियोजना स्थलों का सयंत्र के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दौरा किया। अप्रत्याशित कारणों से देर से चल रही कुछ परियोजनाओं के अनुसूचित और वास्तविक प्रगति के बीच का अंतर अनुमान से भी तेज गति से कम हो रहा है अवलोकन करते हुये उन्होंने परियोजना अधिकारियों से जल्द से जल्द परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए हरसंभव प्रयास करने का आग्रह किया। समय पर परियोजनाओं को पूरा करने की आवश्यकता पर ज़ोर दे रहे थे तो उन्होंने कहा “हम आगे और कोई देरी सहन नहीं करेगें”। परियोजना प्रबंधकों के साथ एक बैठक में श्री वर्मा ने कहा “पूरा देश आईएसपी के आधुनिकीकरण के समय पर चालू होने की राह देख रहा है।” वह नए सीओबी और इसके अन्तःसम्बद्ध क्षेत्र, कच्चा माल हैण्डिलिंग प्रणाली, रेलवे यार्ड, जल उपचार संयंत्र, विद्युत एवं ब्लोविंग स्टेशन, कोक और सिंटर डिस्पैच यार्ड, बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस (बीओफ) और वायर रॉड मिल परियोजनाओं का दौरा किया।
दुनिया में अपनी तरह का अनोखा, 953 एकड़ की सीमित जमीन पर 25 लाख टन प्रति वर्ष कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता के साथ आईएसपी के उच्च विकसित एकीकृत इस्पात संयंत्र का निर्माण एक चुनौती रहा है। आईएसपी के आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण के दायरे में आने वाली सुविधाओं में आवश्यक सहायताओं और सेवाओं समेत पर्यावरण के अनुकूल कोक ड्राई क्वेचिंग प्रणाली के साथ एक सात मीटर लंबा सीओबी, 204 वर्ग मीटर के दो सिंटर मशीन, टॉप प्रेशर रिकवरी टरबाइन और कोल डस्ट इंजेक्शन प्रणाली के साथ एक 4060 मी3 आयतन का नया ब्लास्ट फर्नेस, तीन 150 टन के बीओफ कन्वर्टर्स, 6 स्ट्रैंडयुक्त 2 बिलेट कॉस्टर और एक 4 स्ट्रैंडयुक्त ब्लूम कम बीम ब्लैंक कॉस्टर, 6 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता की यूनिवर्सल हैवी सेक्शन मिल, 5 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता की वायर रॉड मिल और 7.5 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता की बार मिल शामिल हैं।
वर्तमान में, चार मुख्य परियोजनाओं – वायर रॉड मिल, 75.6 लाख टन कच्चे माल को हैंडल करने के लायक रा मैटेरियल हैंडलिंग सिस्टम, 38.8 लाख टन प्रतिवर्ष का सिंटर प्लांट और 2.750 टीपीडी आक्सीजन प्लांट - चालू होने के लिए लगभग तैयार हैं। वायर रॉड मिल क्रिटिकल वॉयर रोप अपलिकेशन्स, उच्च गुणवत्ता के इलेक्ट्रोड्स और फास्टनर्स के लिए कोल्ड हेडेड क्वालिटी का उत्पादन करेगा। शेष परियोजनाओं के लिए लगभग सभी पाइलिंग के काम और ढांचागत निर्माण पूरा हो चुका है। यहां तक कि ज्यादातर परियोजनाओं के लिए उपकरणों की आपूर्ति पूरी हो चुकी है और उनका निर्माण प्रगति के एक उन्नत चरण में है।
पूर्व के इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी (इस्को), 16 फरवरी 2006 को सेल के साथ विलय के बाद आईएसपी में रूपांतरित हुआ। इस्को का इतिहास लगभग वर्ष 1870 से जुड़ा हुआ है, जबकि औद्योगिक उद्यम के रूप में केवल वर्ष 1913 में ही शामिल हुई। सर बिरेन मुखर्जी के प्रबंधन में 1960 के दशक में इस्को सर्वोत्कृष्ट प्रबंधित इस्पात संयंत्रों में से एक होने का गौरव हासिल किया था। इस काल में इस्को को एक ब्लू-चिप उद्योग माना जाता था और इसके शेयर्स लंदन स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड होते थे। लेकिन बाद के वर्षों में इसके गिरावट कों देखते हुये भारत सरकार ने इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया और केंद्र द्वारा इसके सभी शेयर 1972 में सेल को स्थानांतरित कर दिये गए। इस प्रकार इस्को 1978-79 में सेल की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई बन गयी।