नई दिल्ली: स्टील अथाॅरिटी आॅफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के अध्यक्ष श्री सी. एस. वर्मा ने अपनी एकमात्र सहायक कंपनी महाराष्ट्र इलेक्ट्रोस्मेल्ट लिमिटेड (एमईएल) को सलाह दी है वे क्षमता विस्तार के दौर से चल रहे सेल के एकीकृत इस्पात कारखानों की शत-प्रतिशत फैरो-अलाॅय मांग पूरी करने के ध्येय से एक विस्तारीकरण योजना तैयार करें। एमईएल द्वारा फैरो-अलाॅय का अधिक उत्पादन दरअसल कच्चे माल की सुरक्षित आपूर्ति की दृष्टि से सेल की चिंताओं के समाधान में अत्यंत सहायक होगा। महाराष्ट्र के चन्द्रपुर में स्थित एमईएल भारत का सबसे बड़ा मैगनीज आधारित फैरो -अलाॅयज का निर्माता है, जिसके उत्पादों में कार्बन फैरो-मैगनीज और सिलिको-मैंगनीज शामिल हैं। इस कंपनी का सेल में विलय करने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है।
श्री वर्मा पिछले सप्ताह के अंत में एमईएल की वार्षिक बिज़नेस योजना को अंतिम रूप देने के लिए चन्द्रपुर के दौरे पर गये थे। उन्होंने बताया कि एमईएल की विस्तारीकरण योजना में दो नई फर्नेसों की स्थापना की जानी चाहिए जो सेल के कारखानों के विस्तारीकरण के बाद की जरूरत को पूरा करने के साथ-साथ भारत में अन्य इस्पात कारखानों की जरूरत भी पूरी करेंगे (वर्तमान रूप से एमईएल में 45 एमवीए क्षमता की एक सबमज्र्ड आर्क फर्नेस की स्थापना की प्रक्र्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है)। इस कार्य पर कुल निवेेश लगभग ृ500 करोड़ का होगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित एमईएल कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए श्री वर्मा ने कहा कि एमईएल को सेल के कारखानों के लिए फैरो-निकिल की उत्पादन सुविधाओं की स्थापना की संभावनाओं का भी पता लगाना चाहिए। यह बताते हुए कि एमईएल सेल की एक इकाई बनने के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, श्री वर्मा ने आश्वासन दिया कि सेल द्वारा पूर्ण मदद दिए जाने से एमईएल के विस्तारीकरण में धन की कोई दिक्कत नहीं आयेेगी।
फैरो-मैंगनीज की उत्पादन लागत का लगभग 35-40 प्रतिशत बिजली का खर्च होता है। यह देखते हुए सेल एमईएल में 45 मेगावाट की दो इकाइयों से युक्त एक विद्युत संयंत्र स्थापित करने की भी योजना बना रहा है। इस पर लगभग ृ500 करोड़ का अतिरिक्त निवेश किया जायेगा।
सेल केे कारखानों में विस्तारीकरण के बाद फैरो-अलाॅय की मांग 375,000 टन हो जायेगी । वर्तमान रूप से, एमईएल सेल कारखानों की फैरो-मैंगनीज की सम्पूर्ण मांग एवं सिलिको-मैंगनीज की लगभग एक तिहाई मांग को अपनी 33 एमवीए क्षमता की दो सबमज्र्ड आर्क फर्नेसों से पूरा करता है। अब 45 एमवीए क्षमता की एक और फर्नेस लग जाने से सिलिको-मैंगनीज का उत्पादन लगभग दोगुना हो जायेगा । परन्तु अभी भी यह सेल के कारखानों की कुल मांग से कम है। चैथी फर्नेस लग जाने से यह कमी पूरी होने के साथ-साथ इससे सेल की भावी मांग को भी पूरा किया जा सकेगा ।
सेल पहले ही वर्ष 2020 हेतु अपनी भावी योजना तैयार कर रहा है। श्री वर्मा ने एमईएल को निर्देेश दिए कि वे अपनी भावी योजना तथा आगामी मार्ग तय करते समय सेल की योजना को ध्यान में रखें ।