नई दिल्ली : आज जबकि वैश्विक हालात अनिश्चिंतताओं से घिर हुये हैं, भारतीय इस्पात उद्योग भारी वृद्धि के लिए तैयार है, अगले दशक में भारत विश्व में उच्चतम इस्पात उपभोग करने वाले देशों के समूह का हिस्सा बनने की ओर अग्रसर है, यह वक्तव्य महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के अध्यक्ष श्री सी. एस .वर्मा ने आज कंपनी की आयोजित 39वीं वार्षिक आम सभा में दिया।
श्री वर्मा ने कहा कि इस राह पर चलते हुये, और मौजूदा समय तथा आने वाले भविष्य दोनों में अपने बाज़ार प्रभुत्व को कायम रखने के साथ, सेल अपनी क्षमता में बढ़ोत्तरी के लिए हरसंभव प्रयास जारी रखेगा, जिसके लिए पूंजी जरूरतों को " सकारात्मक और जोशपूर्ण भावनाओं" के साथ जुटाया जाएगा। उन्होंने शेयरधारकों से कहा, " सेल ने वित्त वर्ष 13 में 235 लाख टन की हॉट मेटल उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए, जारी आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजना के तहत पहले ही कुल करीब 54,000 करोड़ रुपये मूल्य के ऑर्डर जारी कर चुका है।" " जबकि 2010-11 के दौरान 11,280 करोड़ रुपये की पूंजी का व्यय किया गया है, मौजूदा वर्ष में 14,337 करोड़ रुपये खाका तैयार किया गया है। सलेम इस्पात संयंत्र आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण को पूरा करने के बाद, सेल के सभी पाँचों एकीकृत इस्पात संयंत्रों में अनेक परियोजनाएं पूरा होने विभिन्न चरणों में हैं।" कुछ प्रमुख परियोजनाएं - राऊरकेला में 4060 घन मीटर का ब्लास्ट फ़र्नेस (जो देश का सबसे बड़ा ब्लास्ट फ़र्नेस होगा), बर्नपुर में 5 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता का वायर रॉड मिल, बोकारो में 12 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता का कोल्ड रोलिंग मिल और राऊरकेला तथा इस्को इस्पात संयंत्र में 7 मीटर लंबा कोक ओवन बैट्रीरीज वर्ष 2011-12 में चालू होने के लिए तैयार हैं।
श्री वर्मा ने शेयरधारकों को बताया कि कंपनी अपनी लौह अयस्क की बढ़ी हुई आवश्यकता को मौजूदा खदानों से उत्पादन बढ़ाने और छत्तीसगढ़ के राऊघाट तथा झारखंड के चिरिया में नए खदानों के विकास के जरिये अपनी निजी खदानों से पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध है। " सेल कम गुणवत्ता के लौह और फेंके गए फाइन्स तथा स्लिमेस को उपयोगी बनाने के लिए कंपनी गुआ के लौह अयस्क खदान में 100 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता के बेनिफेसिएशन और 40 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता के पेलिटिसिएशन संयंत्र समेत बेनिफेसिएशन और पेलिटिसिएशन स्थापना की योजना पर कार्य कर रही है," उन्होंने बताया। श्री वर्मा ने जानकारी देते हुये कहा कि अपने मौजूदा कोल ब्लॉक्स को विकसित करने के अलावा सेल कोकिंग कोल और थर्मल कोल ब्लॉक्स के नए आवंटन के लिए प्रयासरत है। कंपनी का इंडोनेशिया के केंद्रीय कलिमत्तान सरकार के साथ समझौता विदेश से कच्चा माल प्राप्त करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में से एक है।
कंपनी की हाल ही के उपलब्धियों के बारे में बताते हुये सेल अध्यक्ष ने कहा, " पिछले वर्ष के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2010-11 में उत्पादन, उत्पाद-मिश्र, और दक्षता मानकों में लगातार वृद्धि हुई है।" " वर्ष 2010-11 में 47,041 करोड़ रूपये का विक्रय कारोबार, कंपनी के अब तक के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा कारोबार रहा और यह पिछले वर्ष के मुक़ाबले 7% अधिक है।" उन्होंने रेखांकित किया। सेल की लाभ स्थिति लागत कीमतों में तेजी होने वाली बढ़ोत्तरी से प्रभावित हुई, विशेष रूप से आयातित कोकिंग कोल, जिसकी वजह से कंपनी को कीमतों में 66% की भारी बढ़ोत्तरी सहनी पड़ी। श्री वर्मा ने आयातित कोकिंग कोल की 2011-12 की पहली तिमाही के 330 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के अभूतपूर्व उच्च कीमत से तीसरी तिमाही में करीब 280 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की नीचे आते मूल्य के झुकाव को देखते हुये संतोष व्यक्त किया।
सेल भविष्य की आवश्यकतओं को पूरा करने के लिए, " लक्ष्य 2020"नामक दीर्घकालीन रणनीतिक योजना पर भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा, " जो कंपनी को वृद्धि और ग्राहक संतुष्टि प्रदान करने के जरिये लाभप्रदता हासिल करने की रणनीतिक लक्ष्य की ओर अग्रसर करेगा।" श्री वर्मा ने कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पिछले माह आयोजित अपनी बैठक में फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफ़सीआईएल) के सिंदरी यूनिट के पुनरुत्थान के लिए अनुमोदन प्रदान किया, जिसके लिए सेल को नामांकन के आधार पर शीर्ष शेयर होल्डर के रूप में चयनित किया गया है, यह सेल के " लक्ष्य 2020" हासिल करने के प्रयासों का सहगामी होगा। उन्होंने आगे कहा कि सेल जो 56 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता के इस्पात संयंत्र, 11.5 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता के यूरिया संयंत्र और 1000 मेगावाट क्षमता के पावर संयंत्र स्थापित करने कि योजना तैयार करने के लिए एक कार्यदल की स्थापना कर रहा है।
�सेल आगे बढ़ रहा है और एक ऊँची उड़ान भरने को तैयार है� श्री वर्मा ने शेयरधारकों से कंपनी की बहुआयामी विकास पहलों की चर्चा करते हुये कहा। उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी लीडरशिप मुख्य केन्द्रित क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किए गए हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकीय दखल बढ़ाने के बारे में चर्चा की, जिसमें सेल का नया शुरू किया गया अनुसंधान एवं विकास मास्टर योजना है, जिसका उद्देश्य " अनवरत विकास के लिए समुचित प्रौद्योगिकियों के अधिकरण एवं विकास" में मदद पहुंचाना है। उन्होंने बताया कि अन्य पहल के अन्तरगत जापान के कोबे स्टील और कोरिया के पोस्को जैसे कंपनियों के साथ सेल द्वारा सहमति पत्र संबन्धित हैं। कोबे स्टील्स द्वारा पेटेंट की गयी आईटीएमके -3 टेक्नॉलॉजी का उपयोग करते हुये, नगेट्स के रूप में प्रीमियम श्रेणी लौह का उत्पादन करने के लिए 5 लाख टन वार्षिक क्षमता की सुविधा स्थापित करने के लिए पूर्व व्यवहारता रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है और प्रस्तावित संयुक्त उद्यम के लिए नियम एवं शर्तों को तैयार किया जा रहा है ... फिनिक्स टेक्नॉलॉजी आधारित संयंत्र स्थापित करने के लिए पोस्को के साथ व्यापक नीतिपरक गठबंधन किया जा रहा है, जिसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है और इस संयुक्त उद्यम के नियम और शर्तो को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
ग्रामीण भारत के विकास के प्रति सेल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुये, सेल अध्यक्ष ने हाल ही में शुरू की गयी कंपनी की ग्रामीण दिलशिप योजना के बारे में बताया, जिसका मकसद प्रमुख रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्ता युक्त इस्पात मदों के उपयोग को बढ़ावा देना और देश के दूर-दराज के कंपनी ब्रांडेड उत्पादों की पहुँच बढ़ाना है। उन्होने बताया �यह पहल यह देखते हुये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ग्रामीण खपत में 10 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष की वर्तमान खपत स्तर में भारी वृद्धि होने की संभावना है। "
सेल के शेयरधरकों को वर्ष वित्त 2010-11 के लिए कंपनी के चुकता इक्विटी शेयर पूंजी का 24% की दर से कुल लाभांश अदा किया जाएगा, जो लाभांश कर को मिलकर 1152 करोड़ रुपये है।
: वार्षिक महासभा में सेल अध्यक्ष
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2011
नई दिल्ली : आज जबकि वैश्विक हालात अनिश्चिंतताओं से घिर हुये हैं, भारतीय इस्पात उद्योग भारी वृद्धि के लिए तैयार है, अगले दशक में भारत विश्व में उच्चतम इस्पात उपभोग करने वाले देशों के समूह का हिस्सा बनने की ओर अग्रसर है, यह वक्तव्य महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के अध्यक्ष श्री सी. एस .वर्मा ने आज कंपनी की आयोजित 39वीं वार्षिक आम सभा में दिया।
श्री वर्मा ने कहा कि इस राह पर चलते हुये, और मौजूदा समय तथा आने वाले भविष्य दोनों में अपने बाज़ार प्रभुत्व को कायम रखने के साथ, सेल अपनी क्षमता में बढ़ोत्तरी के लिए हरसंभव प्रयास जारी रखेगा, जिसके लिए पूंजी जरूरतों को " सकारात्मक और जोशपूर्ण भावनाओं" के साथ जुटाया जाएगा। उन्होंने शेयरधारकों से कहा, " सेल ने वित्त वर्ष 13 में 235 लाख टन की हॉट मेटल उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए, जारी आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजना के तहत पहले ही कुल करीब 54,000 करोड़ रुपये मूल्य के ऑर्डर जारी कर चुका है।" " जबकि 2010-11 के दौरान 11,280 करोड़ रुपये की पूंजी का व्यय किया गया है, मौजूदा वर्ष में 14,337 करोड़ रुपये खाका तैयार किया गया है। सलेम इस्पात संयंत्र आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण को पूरा करने के बाद, सेल के सभी पाँचों एकीकृत इस्पात संयंत्रों में अनेक परियोजनाएं पूरा होने विभिन्न चरणों में हैं।" कुछ प्रमुख परियोजनाएं - राऊरकेला में 4060 घन मीटर का ब्लास्ट फ़र्नेस (जो देश का सबसे बड़ा ब्लास्ट फ़र्नेस होगा), बर्नपुर में 5 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता का वायर रॉड मिल, बोकारो में 12 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता का कोल्ड रोलिंग मिल और राऊरकेला तथा इस्को इस्पात संयंत्र में 7 मीटर लंबा कोक ओवन बैट्रीरीज वर्ष 2011-12 में चालू होने के लिए तैयार हैं।
श्री वर्मा ने शेयरधारकों को बताया कि कंपनी अपनी लौह अयस्क की बढ़ी हुई आवश्यकता को मौजूदा खदानों से उत्पादन बढ़ाने और छत्तीसगढ़ के राऊघाट तथा झारखंड के चिरिया में नए खदानों के विकास के जरिये अपनी निजी खदानों से पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध है। " सेल कम गुणवत्ता के लौह और फेंके गए फाइन्स तथा स्लिमेस को उपयोगी बनाने के लिए कंपनी गुआ के लौह अयस्क खदान में 100 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता के बेनिफेसिएशन और 40 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता के पेलिटिसिएशन संयंत्र समेत बेनिफेसिएशन और पेलिटिसिएशन स्थापना की योजना पर कार्य कर रही है," उन्होंने बताया। श्री वर्मा ने जानकारी देते हुये कहा कि अपने मौजूदा कोल ब्लॉक्स को विकसित करने के अलावा सेल कोकिंग कोल और थर्मल कोल ब्लॉक्स के नए आवंटन के लिए प्रयासरत है। कंपनी का इंडोनेशिया के केंद्रीय कलिमत्तान सरकार के साथ समझौता विदेश से कच्चा माल प्राप्त करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में से एक है।
कंपनी की हाल ही के उपलब्धियों के बारे में बताते हुये सेल अध्यक्ष ने कहा, " पिछले वर्ष के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2010-11 में उत्पादन, उत्पाद-मिश्र, और दक्षता मानकों में लगातार वृद्धि हुई है।" " वर्ष 2010-11 में 47,041 करोड़ रूपये का विक्रय कारोबार, कंपनी के अब तक के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा कारोबार रहा और यह पिछले वर्ष के मुक़ाबले 7% अधिक है।" उन्होंने रेखांकित किया। सेल की लाभ स्थिति लागत कीमतों में तेजी होने वाली बढ़ोत्तरी से प्रभावित हुई, विशेष रूप से आयातित कोकिंग कोल, जिसकी वजह से कंपनी को कीमतों में 66% की भारी बढ़ोत्तरी सहनी पड़ी। श्री वर्मा ने आयातित कोकिंग कोल की 2011-12 की पहली तिमाही के 330 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के अभूतपूर्व उच्च कीमत से तीसरी तिमाही में करीब 280 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की नीचे आते मूल्य के झुकाव को देखते हुये संतोष व्यक्त किया।
सेल भविष्य की आवश्यकतओं को पूरा करने के लिए, " लक्ष्य 2020"नामक दीर्घकालीन रणनीतिक योजना पर भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा, " जो कंपनी को वृद्धि और ग्राहक संतुष्टि प्रदान करने के जरिये लाभप्रदता हासिल करने की रणनीतिक लक्ष्य की ओर अग्रसर करेगा।" श्री वर्मा ने कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पिछले माह आयोजित अपनी बैठक में फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफ़सीआईएल) के सिंदरी यूनिट के पुनरुत्थान के लिए अनुमोदन प्रदान किया, जिसके लिए सेल को नामांकन के आधार पर शीर्ष शेयर होल्डर के रूप में चयनित किया गया है, यह सेल के " लक्ष्य 2020" हासिल करने के प्रयासों का सहगामी होगा। उन्होंने आगे कहा कि सेल जो 56 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता के इस्पात संयंत्र, 11.5 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता के यूरिया संयंत्र और 1000 मेगावाट क्षमता के पावर संयंत्र स्थापित करने कि योजना तैयार करने के लिए एक कार्यदल की स्थापना कर रहा है।
�सेल आगे बढ़ रहा है और एक ऊँची उड़ान भरने को तैयार है� श्री वर्मा ने शेयरधारकों से कंपनी की बहुआयामी विकास पहलों की चर्चा करते हुये कहा। उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी लीडरशिप मुख्य केन्द्रित क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किए गए हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकीय दखल बढ़ाने के बारे में चर्चा की, जिसमें सेल का नया शुरू किया गया अनुसंधान एवं विकास मास्टर योजना है, जिसका उद्देश्य " अनवरत विकास के लिए समुचित प्रौद्योगिकियों के अधिकरण एवं विकास" में मदद पहुंचाना है। उन्होंने बताया कि अन्य पहल के अन्तरगत जापान के कोबे स्टील और कोरिया के पोस्को जैसे कंपनियों के साथ सेल द्वारा सहमति पत्र संबन्धित हैं। कोबे स्टील्स द्वारा पेटेंट की गयी आईटीएमके -3 टेक्नॉलॉजी का उपयोग करते हुये, नगेट्स के रूप में प्रीमियम श्रेणी लौह का उत्पादन करने के लिए 5 लाख टन वार्षिक क्षमता की सुविधा स्थापित करने के लिए पूर्व व्यवहारता रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है और प्रस्तावित संयुक्त उद्यम के लिए नियम एवं शर्तों को तैयार किया जा रहा है ... फिनिक्स टेक्नॉलॉजी आधारित संयंत्र स्थापित करने के लिए पोस्को के साथ व्यापक नीतिपरक गठबंधन किया जा रहा है, जिसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है और इस संयुक्त उद्यम के नियम और शर्तो को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
ग्रामीण भारत के विकास के प्रति सेल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुये, सेल अध्यक्ष ने हाल ही में शुरू की गयी कंपनी की ग्रामीण दिलशिप योजना के बारे में बताया, जिसका मकसद प्रमुख रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्ता युक्त इस्पात मदों के उपयोग को बढ़ावा देना और देश के दूर-दराज के कंपनी ब्रांडेड उत्पादों की पहुँच बढ़ाना है। उन्होने बताया �यह पहल यह देखते हुये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ग्रामीण खपत में 10 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष की वर्तमान खपत स्तर में भारी वृद्धि होने की संभावना है। "
सेल के शेयरधरकों को वर्ष वित्त 2010-11 के लिए कंपनी के चुकता इक्विटी शेयर पूंजी का 24% की दर से कुल लाभांश अदा किया जाएगा, जो लाभांश कर को मिलकर 1152 करोड़ रुपये है।