सेल अध्यक्ष ने कोबे के साथ आगे भी अन्य समझौतों के संकेत दिए
नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े इस्पात निर्माता स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) और जापान के कोबे स्टील ने टोकियो स्थित कोबे मुख्यालय में आज एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत सेल के मिश्र इस्पात संयंत्र, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल, भारत में रुपया 1500 करोड़ के निवेश से कोबे की पेटेंट आईटीएमके3 टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए 0.5 मिलियन टन वार्षिक क्षमता का आयरन नगेट उत्पादन संयंत्र स्थापित किया जायेगा। समझौते के तहत, सेल और कोबे स्टील इस संयंत्र के उत्पादन में से अपने उपयोग के लिए बराबर हिस्सा पाने के हकदार होंगे। सेल और कोबे स्टील के बराबर शेयर से युक्त यह संयुक्त उद्यम कंपनी ‘सेल-कोबे आयरन इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड‘ पहले ही निगमित कर ली गई है ।
सेल अध्यक्ष श्री सी एस वर्मा और कोबे स्टील के प्रेजीडेंट एवं चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्री एन सातो ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री, भारत सरकार श्री बेनी प्रसाद वर्मा, इस्पात सचिव भारत सरकार, श्री डी आर एस चैधरी, संयुक्त सचिव (इस्पात) भारत सरकार, श्री यू पी सिंह और श्री राकेश कुलश्रेष्ठ, कार्य. निदेशक, सेल एवं अध्यक्ष, सेल- कोबे आयरन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड समेत सेल एवं कोबे स्टील के अन्य वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर बोलते हुए इस्पात मंत्री श्री बेनी प्रसाद वर्मा ने सेल और कोबे स्टील के संयुक्त उद्यम बनने पर खुशी जाहिर की और कहा कि वे जापानी टेक्नोलॉजी की मदद से भारतीय इस्पात उद्योग के लिए अधिक परियोजनाएं लगने के प्रति आशावान हैं। उन्होंने कहा, ‘आईटीएमके3 टेक्नोलॉजी बेकार पड़े लौह अयस्क चूर्ण का भी इस्तेमाल करेगी जिसका निपटान एक पर्यावरणीय मसला बन गया है‘। इस्पात सचिव श्री डी आर एस चैधरी ने आश्वासन दिया कि इस्पात मंत्रालय, भारत सरकार इस परियोजना के लिए सम्पूर्ण मदद प्रदान करेगा। सेल अध्यक्ष श्री सी एस वर्मा ने कहा, ”कोबे के साथ इस संयुक्त उद्यम के बाद, सेल देश में इस नवीनतम टेक्नोलॉजी को लाने के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल प्रणालियों को अपनाने का दोहरा उददेश्य हासिल करने जा रहा है। लौह उत्पादन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नये बैंचमार्क स्थापित करते हुए यह संयुक्त उद्यम सेल के इतिहास में एक मील का पत्थर होगा। कोबे के साथ हमारे सहयोग का यह पहला कदम है जो भविष्य में अन्य क्षेत्रों में बढ़ सकता है”।
आईटीएमके3 टेक्नोलॉजी सेल के साथ इस संयुक्त उद्यम परियोजना के जरिये योगदान करने एवं भारतीय इस्पात उद्योग के पुनः विकास की हार्दिक इच्छा व्यक्त करते हुए, कोबे स्टील के प्रेजीडेंट श्री सातो सेल अध्यक्ष के इस कथन ”आईटीएमके3 संयुक्त उद्यम परियोजना दोनों कंपनियों के लिए एक ऐसा स्वर्णिम अवसर प्रदान करेगी जिससे उन क्षेत्रों का पता लगेगा जिनसे परस्पर लाभ के लिए सहयोग किया जा सकता है” से सहमत थे।
विश्व में दूसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक देश जापान का कोबे स्टील अपने देश में एक प्रमुख इस्पात निर्माता है। जापानी मोटर वाहन कंपनियों को मिश्र इस्पात के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। आईटीएमके3 के अलावा, कोबे स्टील ने नई कटिंग-एज टेक्नोलॉजियां भी विकसित की हैं जैसे मिडरैक्स प्रोसेस जिसे गैस युक्त ईंधन के इस्तेमाल से लोहे का उत्पादन करने के लिए विश्वभर में मान्यता मिली है। आईटीएमके3 और मिडरैक्स टेक्नोलॉजियों दोनों ने लौह उत्पादन के लिए कच्चे माल के रूप में कोयले का सफलतापूर्वक स्थान ले लिया है और इनको कम ऊर्जा खपत एवं पर्यावरण अनुकूलता के लिए जाना जाता है।
लौह और इस्पात के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए अग्रणी माने जाने वाले, कोबे स्टील ने नये उत्पाद एवं टेक्नोलॉजियां विकसित की हैं जिनका अनेको उद्योग एवं सामाजिक बुनियादी विकास के क्षेत्र में उपयोग की अथाह संभावना है। इससे भारतीय इस्पात कंपनियों को कोबे स्टील के साथ सामरिक संबंध स्थापित करने का अवसर मिलता है ताकि संबंधित कंपनियों के सबल पक्षों का लाभ उठाया जा सके।
सेल-कोबे स्टील संयुक्त उद्यम परियोजना दोनों ही अग्रणी इस्पात कंपनियों के सबल पक्षों का दोहन करेगी। जहां सेल इस परियोजना के लिए जमीन, लौह अयस्क एवं अन्य इंजीनियरी सेवा प्रदान करेगा, वहीं कोबे स्टील संयंत्र की स्थापना एवं उसके प्रचालन के लिए टेक्नोलाॅजी प्रदान करेगा। एक तरह से यह दोनों कंपनियों के लिए लाभदायी स्थिति है।
सेल और कोबे स्टील ने इससे पहले 30 मार्च, 2010 को एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत कोबे स्टील द्वारा इस्पात उत्पादन हेतु प्रयुक्त आयरन नगेट्स का उत्पादन करने के लिए कोबे द्वारा विकसित आईटीएमके3 टेक्नोलॉजी की संभावना तलाशने एवं वाणिज्यीकरण के लिए एक संयुक्त संभाव्यता अध्ययन किया गया । पूर्व संभाव्यता अध्ययन ने मोटे तौर पर यह स्पष्ट कर दिया है कि यह परियोजना आर्थिक दृष्टि से संभव है।
सेल के दुर्गापुर स्थित इस्पात संयंत्र में स्थापित किये जाने वाले संयंत्र में 0.5 मिलियन टन आयरन नगेट का उत्पादन करने के लिए वार्षिक रूप से लगभग 0.8 मिलियन टन लौह अयस्क चूर्ण की जरूरत होगी। इस जरूरत को पूरा करने के लिए सेल का गुआ आयरन ओर माइन्स फे्रश अराइजिंग्स से 0.64 मिलियन टन और बेकार पड़े चूरे से 0.16 मिलियन टन प्रति वर्ष आपूर्ति करेगी । इस प्रस्तावित संयंत्र से उत्पादन को सेल और कोबे स्टील के अपने अपने संयंत्रों/संयुक्त उद्यमों में उपयोग के लिए बांटा जायेगा।
आईटीएमके3 का तात्पर्य ‘आयरन मेकिंग टेक्नोलॉजी मार्क थ्री‘ है। प्रीमियम क्वालिटी कच्चे लोहे (नगेट्स) का उत्पादन करने के लिए कोबे की यह एक प्रोप्राइटरी टेक्नोलॉजी है। आईटीएमके3 प्रोसेस की विशेषताओं में से एक यह है कि यह अपेक्षाकृत निम्न श्रेणी लौह अयस्क चूरे एवं गैर कोंिकंग कोयले को एक प्रमुख कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करते हुए आयरन नगेट्स का उत्पादन कर सकती है और इसमें लौह अयस्क ढेलों अथवा ब्लास्ट फर्नेस कोक/कोकिंग कोयले की जरूरत नहीं होती। आईटीएमके3 में आयरन नगेट्स का उत्पादन करने के लिए कोक ओवन संयंत्र अथवा सिंटर संयंत्र की जरूरत भी नहीं होती । ब्लास्ट फर्नेस प्रणाली के जरिये उत्पादन की तुलना में इससे कार्बन डाइआॅक्साइड का उत्सर्जन भी कम होता है जो इसे पर्यावरण के अत्यंत अनुकूल टैक्नोलॉजी बनाती है।
SAIL Chairman hints at further collaborations with Kobe
फोटो कैप्शन: सेल अध्यक्ष श्री सी एस वर्मा (दांये से दूसरे खड़े) और कोबे स्टील के प्रेजीडेंट एवं चीफ एक्जीक्युटिव ऑफिसर श्री एन सातो दस्तावेजों का आदान-प्रदान करते हुए । इस अवसर पर केन्द्रीय इस्पात मंत्री श्री बेनी प्रसाद वर्मा (बीच में बैठे हुए) उपस्थित थे जिनके दोनो तरफ इस्पात सचिव श्री डी आर एस चैधरी (दांये) और संयुक्त सचिव, इस्पात मंत्रालय श्री यू पी सिंह हैं