सेल बनी एनपीबी-750 बनाने वाली
देश की पहली कंपनी
सार्वजनिक निर्माणों और गगनचुम्बी इमारतों को मज़बूती देने के साथ
लागत कम करने में होगी मददगार
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर, 2018: स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) ने देश को मज़बूत और किफ़ायती निर्माण देने की अपनी प्रतिबद्धता पर और आगे बढ़ते हुए देश में पहली बार एनपीबी-750 (NPB-750) यानि नैरो पैरेलल फ़्लेंज बीम (Narrow Parallel Flange Beam) की रोलिंग करने की उपलब्धि हासिल की है। इस तरह सेल देश की पहली ऐसी कंपनी बन गई है, जिसने एनपीबी-750 की रोलिंग की है, जिसकी depth 750 मिलीमीटर होगी। भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के अनुसार एनपीबी-750 तीन अलग-अलग सेक्शनल वज़न में उपलब्ध हैं।
एनपीबी-750 के उत्पादन से देश की आम जनता के इस्तेमाल से जुड़ी सार्वजनिक सुविधाओं जैसे पुल, फ्लाई-ओवर, रेलवे ब्रिज, विभिन्न कारखानों के ढांचों समेत निजी उपयोग के बहुमंजिला मकानों और गगनचुम्बी इमारतों के निर्माण को और अधिक मज़बूती मिलेगी और यह निर्माण लागत में भी कमी लाने का काम करेगी।
दरअसल नैरो पैरेलल फ़्लेंज बीम की depth जितनी अधिक बढ़ती जाती है, उसकी भार सहने की क्षमता में भी उतनी ही वृद्धि होती जाती है। इस तरह एनपीबी-750 का उत्पादन देश के सार्वजनिक से लेकर निजी निर्माण तक को और अधिक दृढ़ता और मज़बूती प्रदान करने का काम करेगा।
भारत में सामान्य रूप से 600 मिलीमीटर से अधिक depth के नैरो पैरेलल फ़्लेंज बीम उपलब्ध नहीं होते थे, जिसकी ज़रूरत को निर्माणकर्ता फैब्रिकेशन बीम से पूरा करते थे; वेस्टेज और मजदूरी की अतिरिक्त लागत के चलते निर्माण महंगा पड़ता था। अब एनपीबी-750 उत्पादन के बाद से निर्मांणकर्ताओं को न केवल अतिरिक्त मेहनत से छुटकारा मिलेगा बल्कि उनकी लागत में भी कमी आएगी और इसके साथ ही निर्माण पहले से अधिक मजबूत, तेज़ और सुदृढ़ होगा।
एनपीबी-750 को सेल के बर्नपुर स्थित इस्को इस्पात संयंत्र के यूनिवर्सल स्ट्रक्चरल मिल (यूएसएम) ने विकसित किया है। सेल के इस यूनिवर्सल स्ट्रक्चरल मिल से मई 2017 में उत्पादन शुरू हुआ था और इसके बाद से यह मिल लगातार सेल प्रोडक्ट बास्केट में उत्पादों को विविधता प्रदान करने में जुटा हुआ है। इस्को इस्पात संयंत्र के पैरेलल फ़्लेंज बीम उत्पाद भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) : आईएस 12778 से प्रमाणित हैं।
स्टील स्ट्रक्चरल्स आधारित निर्माण कई मायनों में परंपरागत कंक्रीट निर्माणों से बेहतर हैं, क्योंकि इनसे हल्के और भारी दोनों तरह के ढांचों को खड़ा करने में मदद मिलती है, निर्माण में आसानी होती है, निर्माण में कम समय लगता है, सुरक्षा बढ़ती है, इमारत को मजबूती मिलती है और साथ ही कलात्मक डिज़ाइन की सुविधा मिलती है। अपनी मजबूत संरचना के चलते स्ट्रक्चरल ढांचे भूकंप का मुक़ाबला करने में सक्षम होते हैं।
अगर स्ट्रक्चरल ढांचे के किसी हिस्से में कोई खराबी भी हो जाती है तो पूरे ढांचे की मरम्मत करने के बजाय केवल खराब हिस्से को बदलना या फिर उसकी मरम्मत करना पर्याप्त होता है और इससे आम लोगों का न तो कोई काम रुकता है और न ही उन्हें कोई असुविधा होती है। साथ ही लाइफ साइकल कॉस्ट कम पड़ने से एक ही परियोजना या निर्माण में बार-बार निवेश नहीं करना पड़ेगा। किसी भी तरह की अनहोनी या आपदा की स्थिति में मानव संसाधन के साथ-साथ मैटेरियल कॉस्ट का भी न्यूनतम नुकसान होता है क्योंकि अनुपयोगी होने के बाद भी उसके स्टील की स्क्रैप बाज़ार में अच्छी कीमत मिल जाती है। यही वजह है कि आज दुनिया के सभी देशों के अत्याधुनिक निर्माणों में इसी तरह के स्ट्रक्चरल्स का प्रयोग हो रहा है।
सेल अध्यक्ष श्री अनिल चौधरी ने इस्को इस्पात संयंत्र की इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “सेल लगातार देश और बाज़ार की जरूरतों के अनुरूप अत्याधुनिक मानकों के उत्पादों के विकास में लगा हुआ है। हम इन जरूरतों को पूरा करने के लिए न केवल उत्पादन के मोर्चे पर काम कर रहे हैं बल्कि इसके मार्केटिंग पहलुओं पर भी हमारा उतना ही फोकस है।”
सेल इन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए “NEX from SAIL– द फ्यूचर इन स्टील डिज़ाइन” नाम से अभियान चला रहा है और अपने उत्पादों को स्मार्ट स्ट्रक्चरल के तौर पर “NEX” ब्रांड के नाम से बाज़ार में पेश किया है। एनपीबी-750 “NEX” ब्रांड सीरीज का ही अगला उत्पाद है, जो निर्माण को मज़बूती प्रदान करने के साथ-साथ लागत में भी किफायत लाएगा। ***