नई दिल्ली : सेल अपनी आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजनाओं के तीव्रगति से संचालन के परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2012-13 में रुपया 5500 करोड़ की परियोजनाओं का आरम्भ करने जा रहा है. वित्त वर्ष’13 के दौरान कंपनी का पूँजी व्यय रुपया 9731 करोड़ था. आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजनाओं के तहत अप्रैल 2013 तक रुपया 58,225 करोड़ के कुल लागत के ऑर्डर जारी किये गये और रुपया 44,536 करोड़ की राशि व्यय की गई. वित्त वर्ष 2012-13 में शुरू की गयी परियोजनाओं में शामिल हैं – राउरकेला इस्पात संयंत्र में नया सिंटर संयत्र-3, भिलाई इस्पात संयंत्र में ऑक्सीजन की संयंत्र-2 की 700 टीपीडी एयर सेपरेशन इकाई-4, बोकारो इस्पात संयंत्र में स्किन पास मिल. इसके साथ ही इस्को इस्पात संयंत्र में कच्चा माल हैंडलिंग संयंत्र (सिंटर संयंत्र में), कोक ओवन बैटरी-11, कोक ड्राई कूलिंग संयंत्र, उप-उत्पाद संयंत्र, वायर रॉड मिल एवं आरएचएफ जैसी परियोजाएं आरम्भ की गयी हैं. अप्रैल 2013 में ही रुपया 2175 करोड़ लागत की परियोजनाएं चालू हो चुकी हैं.
महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के वर्ष 2012-13 के लिए अंकेक्षित वित्तीय परिणाम को इसके निदेशक मण्डल द्वारा आज रिकार्ड में लिया गया. कंपनी ने वित्त वर्ष 2012-13 के लिए कर पूर्व लाभ रुपया 3241 करोड़ और कर पश्चात लाभ रुपया 2170 करोड़ दर्ज किया. ये पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले क्रमश: 37% और 39% कम हैं. यद्यपि वित्त वर्ष’13 में कंपनी का सकल विक्रय कारोबार रुपया 49350 करोड़ लगभग पिछले वर्ष के स्तर के बराबर ही है, पर कंपनी के शुद्ध लाभ में कमी मुख्यतया: बाजार की मंदी के चलते शुद्ध विक्रय प्राप्ति (एनएसआर) में आई कमी रही.
कम्पनी ने वित्त वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में कर पश्चात लाभ रुपया 446 करोड़ दर्ज किया. इसी तिमाही के दौरान शुद्ध विक्रय प्राप्ति में प्रति टन इस्पात में 11% की तेज गिरावट के चलते सेल की लाभप्रदता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, केवल अकेले इसी कारक की वजह से रुपया 1347 करोड़ का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. परिणामस्वरूप यद्दपि वित्त वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में कंपनी की विक्रय मात्रा थोड़ी अधिक रही, तब भी सकल विक्रय कारोबार रुपया 13660 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.6% कम है.
मांग में स्थिरता की वजह से चुनौतीपूर्ण बाजार स्थितियों के बावजूद, सेल ने 103% क्षमता प्रचालन द्वारा 134 लाख टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 1% बेहतर स्तर पर है. सेल ने समग्र उत्पाद श्रृंखला में मूल्य संवर्धित उत्पाद का अनुपात बढ़ाने के अपने दीर्घकालीन लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, विशेष इस्पात का उत्पादन 50 लाख टन के स्तर तक बढ़ाया, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 4% अधिक है.
सेल द्वारा कार्य प्रक्रिया को बेहतर बनाने और संसाधनों को बनाये रखने की आवश्यकता की दिशा में किये गए प्रयासों के परिणामस्वरूप कंपनी ने श्रेष्ठतम तकनीकी-आर्थिक उपलब्धि हासिल की है. इसके जरिये कंपनी ने वित्त वर्ष 2012-13 में ब्लास्ट फर्नेस उत्पादकता, ऊर्जा खपत और कोक दर में क्रमश: 5%, 3% और 1% की वृद्धि दर्ज की है. कोल डस्ट इंजेक्शन तकनीकी के उपयोग में वर्ष दर वर्ष की वृद्धि 5% तक पहुँच गयी. सेल के निजी और जेवी पॉवर संयंत्रों द्वारा बिजली उत्पादन में 4% की वृद्धि दर्ज की गयी, जो 690 मेगावाट के अभी तक के श्रेष्ठतम स्तर को हासिल कर चुके हैं.
वित्त वर्ष 2012-13 में कंपनी द्वारा देश की रणनीतिक आवश्यकताओं के अनुरूप इस्पात के निर्माण हेतु नए-नए उत्पादों के विकास की ओर ध्यान दिया गया है. भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) के प्रतिष्ठित भारत आधारित न्यूट्रिनों ऑब्ज़रवेट्री (आईएनओ) परियोजना के लिए स्पेशल सॉफ्ट आयरन मैग्नेटिक प्लेट्स, भारतीय रेलवे के डिब्बों के लिए विशेष रूप से निर्मित आईएस-2062 ई-450 और ई-350 एचआर क्वाइल, प्रेशर वेसेल में उपयोग किये जाने वाले एएसटीएम 537 प्लेट्स, पेट्रोरसायन उद्योग के लिए एनएसीई क्वालिटी प्लेट, मोटर बॉडी घटकों के लिए Mn-B के साथ अत्यधिक मजबूती वाले एचआर और सीआर इस्पात, स्पैनर्स और अन्य सम्बंधित उत्पाद निर्माताओं के लिए 31 CrV3 श्रेणी के बिलेट्स के साथ विभिन्न प्रकार के विशिष्ट उत्पाद सेल की उत्पाद श्रृंखला में शामिल किये गए हैं.
सेल अध्यक्ष श्री सी. एस. वर्मा ने विश्वास जताया कि देश में परियोजनाओं को तीव्रतम गति से आगे बढ़ाने के लिए उठाये गए हाल के कदमों के साथ बाजार की मंदी की स्थिति में जल्दी ही सुधार होगा. उन्होंने आगे कहा “करीब 15 वर्ष के अंतराल के बाद शामिल की जा रही नई उत्पादन क्षमताओं के साथ, वर्ष 2013-14 सेल की राष्ट्र निर्माण की राह में एक मील पत्थर बनने जा रहा है, जब हम इस वित्त वर्ष के अंत तक अपनी मौजूदा 140 लाख टन की क्षमता को बढ़ाकर 190 लाख टन कर लेंगे”