महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) ने दूसरी तिमाही में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले लाभ में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. वित्त वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही में कर पूर्व लाभ और कर पश्चात लाभ, पिछले वर्ष की इसी अवधि के रुपया 706 करोड़ और रुपया 485 करोड़ की तुलना में क्रमश: रुपया 788 करोड़ और रुपया 543 करोड़ रहा. कम्पनी का विक्रय कारोबार जुलाई से सितम्बर, 2012 के दौरान रुपया 11,976 करोड़ तक बढ़त के साथ दर्ज किया गया.
सेल अध्यक्ष श्री सी. एस. वर्मा ने कहा, “ अधिक उत्पादन के साथ महत्वपूर्ण तकनीकी-आर्थिक मानकों में सुधार ने हमारी लाभप्रदता को बढ़ाया है. इसके आलावा विक्रय अर्जन में वृद्धि ने हमें अतिरिक्त लाभ प्रदान किया है. भविष्य की ओर कदम बढ़ाते हुए, हम भारतीय इस्पात क्षेत्र में वृद्धि को लेकर आशान्वित हैं और सेल बढ़ती हुई मांग को पूरा करने लिए अपने उत्पादन में वृद्धि की ओर अग्रसर है.”
वित्त वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही में परिचालन सुधारों पर लगातार ज़ोर के परिणामस्वरूप ऊर्जा खपत में 3 प्रतिशत की कमी और ब्लॉस्ट फर्नेस उत्पादकता में 8 प्रतिशत की बढ़त हुई है. कम्पनी ने दूसरी तिमाही में उत्पाद-मिश्र के साथ वैल्यू-एडेड स्टील के विक्रय में 7.5 प्रतिशत वृद्धि हासिल की है. सेल का कुल कारोबार 31 मार्च, 2012 के रुपया 39,811 करोड़ के मुकाबले, 30 सितम्बर, 2012 को बढ़कर रुपया 41,053 करोड़ के स्तर पर आ गया है.
सेल ने 36 लाख टन तप्त धातु, 33.9 लाख टन कच्चा इस्पात और 31.8 लाख टन विक्रेय इस्पात के उत्पादन के साथ, वित्त वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही में वर्ष दर वर्ष क्रमश: 7 प्रतिशत, 5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.
कम्पनी की जारी आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत विभिन्न सुविधाएं पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं और जिसमें से कुछ परिचालन के लिए तैयार हैं. इस वर्ष के पहले छ: महीने के दौरान हासिल की गयी महत्वपूर्ण परियोजना उपलब्धियां हैं, आईएसपी, बर्नपुर में नई कोक ओवेन बैटरी की हीटिंग का आरम्भ और वायर रॉड मिल के परियोजना कार्य को पूरा करना, भिलाई इस्पात संयंत्र के ऑक्सीजन संयंत्र-2 में 700 टीपीडी एएसयू-4 का पूरा होना और राउरकेला इस्पात संयंत्र में नए सिंटर संयत्र में सिंटर उत्पादन का आरम्भ और नई कोक ओवेन बैटरी की हीटिंग.आने वाले महीनों में आईएसपी और राउरकेला इस्पात संयंत्र में दो बड़े 4060 घन मीटर के ब्लास्ट फर्नेस उत्पादन शुरू करेंगे, इससे तप्त धातु क्षमता में 50 लाख टन प्रति वर्ष की बढ़ोत्तरी होगी.
सेल ने इस तिमाही के दौरान कच्चे माल को प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के साथ एक्लामा लौह अयस्क भण्डार के विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. जिसके लिए छत्तीसगढ़ खनिज विकास कार्पोरेशन लिमिटेड (सीएमडीसी) और सेल के बीच एक संयुक्त उद्यम की स्थापना की गयी है. एक्लामा लौह अयस्क भण्डार, भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए अतिरिक्त लौह अयस्क स्रोत होगा, जो भिलाई से करीब 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. ऐसा अनुमान है कि यहाँ करीब 1000 लाख टन अच्छी गुणवत्ता का अयस्क भण्डार है. इस समझौते पर 2 नवम्बर, 2012 को छत्तीसगढ़ में आयोजित “ग्लोबल इन्वेस्टर मीट” में हस्ताक्षर किया गया.