महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के निदेशक मण्डल द्वारा आज वित्त वर्ष 2012-13 की अप्रैल से जून की पहली तिमाही (Q1FY13) के लिए रिकार्ड में लिए गए अनंकेक्षित वित्तीय परिणाम में कंपनी ने कुल रूपया 11912 करोड़ का कारोबार दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के रूपया 11907 करोड़ के कारोबार से अधिक है. कर पूर्व लाभ रुपया 1010 करोड़ पिछले वर्ष की इसी अवधि के रूपया 1240 करोड़ की तुलना में कम है. कर पूर्व लाभ में यह कमी मुख्य रूप से लागत में बढ़ोत्तरी और विदेशी विनिमय में उतार-चढ़ाव की वजह से हुई है, जिसका अनुमान Q1FY13 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले रूपये में 21 प्रतिशत की गिरावट से लगाया जा सकता है. इसके परिणाम स्वरुप कम्पनी ने Q1FY13 में रुपया 696 करोड़ कर पश्चात लाभ दर्ज किया है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में रुपया 848 करोड़ कर पश्चात लाभ दर्ज किया गया था.
Q1FY13 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले कुल विक्रय वसूली में 8.5 प्रतिशत की बढोत्तरी से बढ़ी हुई लागत के प्रभाव को कुछ हद तक कम किया जा सका है.यह कम्पनी के द्वारा उठाये गए आतंरिक उपायों की वजह से संभव हुआ है, जिससे Q1FY13 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले मूल्य-संवर्धित (वैल्यू ऐडेड) इस्पात उत्पादन में 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. यही नहीं, तकनीकी-आर्थिक मानकों में बेहतरी से कार्यनिष्पादन को और बल मिला है. कोक दर, उर्जा खपत और ब्लास्ट फर्नेस उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले क्रमश: 2, 2 और 1 प्रतिशत बेहतर रहे.
कंपनी की आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजना अपने तय कार्यक्रम के अनुरूप प्रगति पर है. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में किया गया पूंजी खर्च रूपया 1960 करोड़ रहा. इस तिमाही में बहुत सी आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजनाएं पूरी कर ली गयी हैं, जिनमें राउरकेला संयंत्र का सिंटर संयंत्र, दुर्गापुर संयंत्र के कच्चा माल संचालन संयंत्र का नया बैरल रिक्लेमर, एलॉय इस्पात संयंत्र, दुर्गापुर में नया लेडल फर्नेस संख्या – 2, इस्को इस्पात संयंत्र के कोल संचालन संयंत्र में नई कोक ओवेन बैटरी #11 और वैगन टिप्प्लेर्स तथा भिलाई संयंत्र के ऑक्सीजन संयंत्र - 2 में वायु विभाजक इकाई शामिल हैं.
आगामी कुछ महीनों में इस्को इस्पात संयंत्र के सिंटर संयंत्र और वायर रॉड मिल, जो पूरा होने के उन्नत चरण में हैं, इस साल के अंत तक चालू होने की स्थिति में आ जायेगें. दुर्गापुर संयंत्र में भी एक नई कोक ओवन बैटरी और मीडियम स्ट्रक्चरल मिल जल्द ही कार्य करना शुरू कर देगें. इसके आलावा राउरकेला और इस्को इस्पात संयंत्र में से प्रत्येक में 4060 घन मीटर क्षमता के एक-एक नये ब्लास्ट फर्नेस के कार्य शुरू करने की संभावना है.
सेल का विस्तारीकरण कार्यक्रम जहाँ एक सुदृढ़ आकार ले रहा है, वहीँ कंपनी लंबी अवधि में प्रतिस्पर्धी क्षमता के लिए रणनीतिक पहल की दिशा में भी आगे बढ़ रही है. इस दिशा में पिछली तिमाही में कई कदम उठाये जा चुके हैं. सेल ने पश्चिम बंगाल के जेल्लिंघम में करीब रुपया 200 करोड़ की अनुमानित पूंजी से वैगन कम्पोनेंट्स मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित करने के लिए संयुक्त उद्यम समझौते पर हस्ताक्षर किया है. यह संयुक्त उद्यम हर महीने 10,000 बोगिज और 10,000 कप्लर्स उत्पादित करने की क्षमता से युक्त होगी.
सेल ने हाल ही में जापान के कोबे स्टील के साथ टोकियो स्थित कोबे मुख्यालय में रुपया 1500 करोड़ के निवेश से सेल के मिश्र इस्पात संयंत्र, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल, भारत में कोबे की पेटेंट आईटीएमके3 टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए 5 लाख टन वार्षिक क्षमता के आयरन नगेट उत्पादन संयंत्र स्थापित करने लिए एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किया है। इस दिशा में अपने कदम बढ़ाते हुए सेल नेतृत्व वाली कंसोर्टियम ने अफगानिस्तान के शैदा में तांबा (कॉपर) खदान के लिए आज निविदा जमा की है. यह कंसोर्टियम अफगानिस्तान में तांबा और सोने के खदान की निविदा प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पहले से ही योग्यता हासिल कर चुकी है.
तिमाही परिणाम की घोषणा के अवसर पर सेल अध्यक्ष श्री सी. एस. वर्मा ने कहा, ““हम घरेलू बाज़ार के प्रति आशावादी हैं, जिसमें आधारभूत संरचनात्मक गतिविधियों में तेज़ी लाने की क्षमता है. हमारी नई क्षमताओं को एक ठोस स्वरूप मिलने से हम बाज़ार के अवसरों का यथोचित लाभ उठा पाएंगे.