- तीसरी तिमाही में 29.4 लाख टन का विक्रय य 25% की बढ़ोत्तरी
- तीसरी तिमाही में कर पूर्व लाभ 102% बढ़ कर 2536 करोड़ रुपये हुआ
- तीसरी तिमाही में 2793 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च, 114% अधिक
नई दिल्ली: स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के वित्त वर्ष 2009-10 की अक्टूबर-दिसम्बर (तीसरी तिमाही) के अनंकेक्षित वित्तीय परिणामों को कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा आज रिकार्ड में लिया गया, जिसमें 1675.55 करोड़ रुपये का कर उपरांत लाभ दर्ज हुआ, जो विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 99 % अधिक है। सेल निदेशक मंडल ने अपनी चुकता पूंजी के १६% की दर से 660 करोड़ रुपये के अंतरिम लाभांश अदायगी की भी मंजूर दी, जबकि विगत वर्ष 13% अंतरिम लाभांश अदा किया गया था।
तीसरी तिमाही के दौरान कंपनी का शुद्ध कारोबार, 8724 करोड़ रुपये (वर्ष दर वर्ष) के मुकाबले 9697 करोड़ रुपये रहा, जो 11 % अधिक है। मात्रा की दृष्टि से तिमाही के दौरान 29 लाख टन का विक्रय विगत वर्ष की इसी अवधि की तीसरी तिमाही के मुकाबले 24.5 % अधिक है। मात्रा की दृष्टि से वृद्धि की तुलना में कारोबार में कम वृद्धि, प्रमुख रूप से तीसरी तिमाही के दौरान विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 12 % कम विक्रय वसूली की वजह से हुआ।
तिमाही के दौरान आयातित कोकिंग कोयले की लागत कम रही, यद्यपि लौह अयस्क पर अधिक राॅयल्टी के साथ-साथ फेरो अलाॅयस, जिंक, अल्मुनियम, इत्यादि की लागत में वृद्धि के चलते अन्य कच्चे माल की लागत निरन्तर बढ़ती रही । आयातित कोयले की कम कीमत के अलावा, तिमाही के दौरान लाभ को दोगुना करने वाले कारकों में विक्रय में वृद्धि, मूल्य संवंर्धित इस्पात के उत्पादन में 25 % वृद्धि, तकनीकी-आर्थिक मानकों में सुधार और अनेक अन्य लागत किफायती उपायों का योगदान रहा।
तीसरी तिमाही के कार्यनिष्पादन में भारी सुधार की मदद से, सेल को वित्त वर्ष 2009-10 की प्रथम नौमाही (अप्रैल-दिसम्बर) के कर उपरांत लाभ को विगत वित्त वर्ष की इसी अवधि के लगभग बराबर रखने में मदद मिली - जो विगत वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले महज 0.4 % कम 4669.5 करोड़ रुपये रहा। इसी तरह, विवेच्य अवधि का कर पूर्व लाभ विगत वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले महज 0.7 % कम 7065.2 करोड़ रुपये रहा। अप्रैल-दिसम्बर 2009 के दौरान मात्रा की दृष्टि से विक्रय में 14 % वृद्धि के बावजूद शु़द्ध कारोबार 28596 करोड़ रुपये रहा, जो प्रमुख रूप से कम वसूलियों की वजह से विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले लगभग 9 % कम रहा ।
कंपनी के आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण कार्यक्रम के तहत, तीसरी तिमाही में 2793 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च हुआ, जो विगत वर्ष की इसी अवधि के 1306 करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग 114 % अधिक है। वित्त वर्ष 2009-10 के अप्रैल-दिसम्बर के दौरान यह खर्च 7713 करोड़ रुपये पहुंचा, जो विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 138 % अधिक है। सेलम इस्पात कारखाने में नई स्टील मेकिंग सुविधाओं और एक नई कोल्ड रोलिंग मिल की स्थापना से जुड़ी आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण परियोजनाएं लगभग पूर्ण होने जा रही है। विवेच्य तिमाही के दौरान अनेक जारी परियोजनाओं को चालू किया गया।
सेल के निजी खदानों में उत्पादन पर निरन्तर बल देने से तीसरी तिमाही में 3.5 लाख टन कोयले का उत्पादन हुआ, जो किसी भी तिमाही का एक रिकार्ड है और विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 44 % अधिक है। कानूनी मंजूरियां प्राप्त करने के बाद, तसरा के नये खदानों में 26 नवम्बर 2009 से उत्पादन शुरू हुआ और दिसम्बर 2009 में 10000 टन उत्पादन प्राप्त किया गया। इस कोयला ब्लॉक को 40 लाख टन वार्षिक क्षमता के लिए विकसित किया जा रहा है ।
भारत रिफ्रैक्टरीज लिमिटेड का 28 जुलाई, 2009 को सेल के साथ विलय हुआ और उसका नाम सेल रिफ्रैक्टरी यूनिट (एसआरयू) रखा गया । इस यूनिट की सुविधाओं का बेहतर प्रबंधन करने से तिमाही के दौरान (वर्ष दर वर्ष) उत्पादन में 21 % की भारी वृद्धि हुई।
लौह अयस्क के मामले में कच्चे माल की सुरक्षा की दिशा में तीसरी तिमाही के दौरान महत्वपूर्ण प्रगति की गई। छत्तीसगढ़ में रावघाट माइन की कानूनी स्वीकृतियां प्राप्त करने के बाद 21 अक्टूबर 2009 को लीज़ डीड करार पर हस्ताक्षर किये गये, यह एक ऐसा मसला था जो दो दशक से अधिक समय से लंबित था। इससे भिलाई स्टील प्लांट में अगल 30 सालों तक लौह अयस्क की सुरक्षित आपूर्ति होती रहेगी। चिरिया/गुआ माइंस के संबंध में तीसरी तिमाही के दौरान झारखंड सरकार ने बुधाबुरू लीज़ के प्रस्ताव की वन मुजूरी की अनुशंसा की है। इनमें 8100 लाख टन का आरक्षित भंडार है।
तीसरी तिमाही सेल और इसके कर्मियों के लिए पुरस्कार और सम्मानों की दृष्टि से भी यादगार रही। सेल के भिलाई स्टील प्लांट को वर्ष 2006-07 और 2007-08 के लिए देश में सर्वोत्तम एकीकृत स्टील प्लांट घोषित किया ग्या ।
तीसरी तिमाही के कार्यनिष्पादन पर कंपनी के कर्मचारियों को बधाई देते हुए सेल अध्यक्ष श्री एस. के. श्री एस. के. रूँगटा ने कहा, “हम हाल की मंदी के दौरान अपने मौलिक बातों पर केन्द्रित रहे। सेल कर्मियों के अथक प्रयासों से महत्वपूर्ण सफलतायें हमने हासिल की। सेल कच्चे माल की उंची लागत, प्रतिस्पर्धा में वृद्वि एवं कच्चे माल की दीर्घकालीन सुरक्षा से जुड़े मसलों की आसन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए स्वयं को तैयार कर रहा है । साथ ही इस्पात की मांग में तेजी आने से अपने समक्ष उपस्थित अवसरों का लाभ उठा रहा है ।