- दूसरी तिमाही में 10730 करोड़ रुपये का कारोबारय प्रथम तिमाही की अपेक्षा 10% बेहतर, वर्ष दर वर्ष आधार पर 21% कम
- दूसरी तिमाही में 30 लाख टन से अधिक रिकार्ड बिक्रीय 14% वृद्धि
- दूसरी तिमाही में मूल्य संवर्धित इस्पात के उत्पादन में 15% वृद्धि, प्रथम छमाही में 18% वृद्धि
- तकनीकी-आर्थिक मानकों की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ दूसरी तिमाही
- 2450 करोड़ रुपये का रिकार्ड दूसरी तिमाही पूंजीगत खर्च, जो विगत वर्ष की इसी अवधि की अपेक्षा दोगुना है
स्टील अथाॅरिटी आॅफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के जुलाई-सितम्बर.2009-10 (दूसरी तिमाही) के अनंकेक्षित वितीय परिणामों को कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा आज रिकार्ड में लिया गया, जिसमें 1663 करोड़ रुपये का कर उपरांत शुद्ध लाभ हुआ, जो विगत तिमाही के कार्यनिष्पादन की तुलना में 25% का सुधार है, विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 17.3% कम है।
दूसरी तिमाही के कार्यनिष्पादन में विभिन्न प्रबंधकीय प्रयासों की मदद से विगत तिमाही (प्रथम तिमाही-2009) की अपेक्षा सुधार के साथ लगभग 700 करोड़ रुपये का योगदान मिला। इसके फलस्वरूप सर्वश्रेष्ठ दूसरी तिमाही बिक्री एवं विशेष इस्पात उत्पादन, सहायक उत्पादों की बिक्री से भारी अतिरिक्त उपार्जन, अल्पावधि क्र्रय प्रणाली जैसे उपायों के जरिये प्रशासनिक खर्चों एवं क्र्रय लागत में कटौती इत्यादि हुई ।
वित्त वर्ष 2009-10 की दूसरी तिमाही में कम कीमत उपार्जन की वजह से 3000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रतिकूल प्रभाव के प्रमुख अंश को निष्प्रभावी करने के लिए प्रबंधकीय प्रयास किये गये। अन्य प्रयासों में शामिल हैं - विक्रय में 14% वृद्धि, मूल्य संवर्धित इस्पात में 15% वृद्धि, विवेच्य अवधि में कोक दर, कुल उर्जा खपत एवं ब्लास्ट फर्नेस उत्पादकता जैसे सर्वश्रेष्ठ प्रमुख तकनीकी-आर्थिक मानक एवं सुविचारित वित्तीय प्रबंधन । इसके साथ साथ प्रचालन खर्च, मरम्मत एवं रखरखाव, स्टोर एवं स्पेयर्स, प्रशासनिक खर्च इत्यादि में भारी कटौती करते हुए दूसरी तिमाही में 1000 करोड़ रुपये से अधिक की कुल बचत हुई।
कंपनी ने दूसरी तिमाही में 2450 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च किया जो विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले दोगुने से अधिक है। प्रथम छमाही के दौरान यह खर्च 4920 करोड़ रुपये पहंुचा, जो 2008-09 की प्रथम छमाही की अपेक्षा 2.5 गुना अधिक है।
सेल ने दूसरी तिमाही में 10730 करोड़ रुपये का कारोबार किया जो प्रमुख रूप से वर्ष दर वर्ष इस्पात कीमतों में भारी गिरावट की वजह से विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 20.8% कम रहा। दूसरी तिमाही में 2519 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ एवं 1663 करोड़ रुपये का कर उपरांत लाभ भी विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले क्रमशः 18% और 17% कम रहा जो कम उपार्जन, रेल भाड़ा समेत निवेश लागतों में वृद्वि, खनिजों पर यथामूल्य राॅयल्टी लगाने, ईंधन सरचार्ज इत्यादि और ब्याज की उंची दरों जैसे घटकों की वजह से हुआ। प्रथम छमाही में कारोबार 20481 करोड़ रुपये रहा और कर पूर्व लाभ 4529 करोड़ रुपये रहा जो विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले क्रमशः 20% और 22.7% कम है।

वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान, सेल का नेट वर्थ बढ़कर 30.09.09 को 31,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया - जो 31.03.09 के नेटवर्थ की अपेक्षा 3151 करोड़ रुपये अधिक है।
सेल के एकीकृत इस्पात कारखानों में दूसरी तिमाही में 12 लाख टन से अधिक या विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले क्रमशः 15% अधिक विशेष/मूल्य संवंर्धित इस्पात के उत्पादन के साथ प्रथम छमाही में इन उच्च मूल्य मदो का 23 लाख टन से अधिक उत्पादन हुआ जो विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 18% अधिक है। सेल का निजी विद्युत उत्पादन विवेच्य तिमाही एवं प्रथम छमाही के दौरान क्रमशः 10% और 22% अधिक हुआ ।
दूसरी तिमाही मे घरेलू इस्पात विक्रय में 12.1% वृद्धि के साथ 30 लाख टन पहुंचा और सेल ने प्रथम छमाही के दौरान देश मे 56 लाख टन विक्रय करते हुए 8% वृद्धि दर्ज की । दूसरी तिमाही में निर्यात दोगुना से अधिक हुआ और सेल ने प्रथम छमाही में 1.60 लाख टन से अधिक खेप निर्यात की। एचआर काॅयल्स/स्केल्प (20%), वायर राॅड़स (27%), स्ट्रक्चरल्स (19%), गैल्वनाइज्ड उत्पाद (8%) और प्लेट्स (7%) जैसे उत्पादों के विक्रय में भारी वृद्धि दर्ज हुई।
कच्चे माल की सुरक्षित आपूर्ति की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की गई। छत्तीसगढ़ स्थित रावघाट माइंस के लिए समस्त सांविधिक मंजूरी मिलने के बाद 21 अक्टूबर, 2009 को लीज़ डीड करार पर हस्ताक्षर किये गये, यह एक ऐसा मुददा था जो दो दशको से अधिक समय से लंबित था। इससे लगभग अगले 30 वर्षों तक भिलाई इस्पात कारखाने को लौह अयस्क की सुरक्षित आपूर्ति मुहैया होगी। चिरिया/गुआ माइंस के संबंध में झारखंड सरकार के साथ प्रमुख रूप से सकारात्मक घटनाक्रम हुआ और सरकार ने सिद्वांत रूप से चिरिया/गुआ लौह अयस्क लीज़ों में सबसे बड़ी लीज़ - लगभग 8100 लाख लौह अयस्क के भंडार युक्त बुधाबुरू (823.8 हेक्टेयर क्षेत्र)। राष्ट्र के व्यापक हित में अपनी विकास योजना के लिए कंपनी की लौह अयस्क मांग को पूरा करने के लिए सेल ने झारखंड सरकार से चिरिया/गुआ की अतिरिक्त लीज़ों को नवीकृत करने का पुनः निवेदन किया ।
कंपनी अपने निजी उपयोग के लिए सीतानाला और तसरा स्थित दो नये कोकिंग कोल ब्लाक्स भी विकसित कर रही है । 40 लाख टन वार्षिक क्षमता के तसरा कोकिंग कोल ब्लाक्स की पर्यावरण मंजूरी अक्टूबर, 2009 में प्राप्त हो गई है और अगले कुछ महीनों में कुछ खनन प्रचालन आरम्भ करने के लिए कंपनी तैयार है ।
कंपनी के कार्यनिष्पादन पर टिप्पणी करते हुए सेल अध्यक्ष श्री एस. के. रूॅंगटा ने कहा “यद्यपि देश में इस्पात उत्पादों की सकल मांग में वृद्वि उत्साहवर्धक है, फिर भी, सेल उच्चतर चहुंमुखी लागत दक्षता, बेहतर तकनीकी-आर्थिक मानक, उत्पादन/उत्पादकता में सुधार प्राप्त करने और मूल्य संवर्धित उत्पादों पर विशेष बल की दिशा में अपने कड़े प्रयासों को जारी रखेगा”।