नई दिल्ली:भारतीय स्टील कंपनियां एक तरफ उत्पादन की उच्च लागत और दूसरी तरफ निम्न विक्रेय प्राप्ति की दोहरी चुनौती का सामना कर रही हैं। कोयले की कीमतों में अस्थिरता, उच्च रेलवे माल भाड़ा, बिजली की दरों, खनिजों पर रॉयल्टी, रुपये के अवमूल्यन इत्यादि के चलते उत्पादन लागत बढ़ती जा रही है। जबकि मौजूदा बाज़ार स्थितियों के कारण लाभ पर अत्यधिक दबाव के परिणामस्वरूप इस्पात कीमतें स्थिर हैं।
सेल द्वारा रांची स्थित अपने प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान (एमटीआई) में 11-12 सितम्बर, 2013 के दौरान उपरोक्त चुनौतियों का सामना करने के लिए लागत नियंत्रण और लागत प्रतिस्पर्धात्मकता पर एक शीर्ष रणनीतिक बैठक आयोजित की गयी। सेल अध्यक्ष श्री सी एस वर्मा, समस्त कार्यकारी निदेशकगण, एकीकृत इस्पात संयंत्रों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण इस बैठक में शामिल हुए।
इस बैठक के दौरान अगले तीन साल में दौरान करीब 5000 करोड़ रुपए की कुल बचत लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सेल की अनुकूलतम लागत पहल (COIS-Cost Optimization Initiatives of SAIL) नामक एक विशेष कार्ययोजना की रूपरेखा की शुरुआत की गयी।
इस विशेष पहल के तहत निरंतर लागत में कमी के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की गई है:
- उत्पादक सामग्री का अनुकूलतम उपयोग
- उपलब्ध परिसंपत्तियों के अनुकूलतम उपयोग के जरिये परिचालन क्षमता को बेहतर बनाना
- आरंभ की गयी नई इकाइयों का त्वरित स्थिरीकरण
- अतिरिक्त लागत को कम करना और कार्मिक उत्पादकता को बढ़ाना
इनमें से प्रत्येक क्षेत्र के लिए एकीकृत इस्पात संयंत्रों और इकाइयों ने लागत नियंत्रण क्षमताधारकों की पहचान कर ली है और अनुकूलतम लागत की विचार रणनीति बना ली है।
सेल अध्यक्ष श्री सीएस वर्मा ने विमर्श के दौरान, मौजूदा बाजार की स्थितियों और तीव्र प्रतिस्पर्धा के फलस्वरूप संगठन सम्मुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे लीक से हटकर सोचें और कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए यथासंभव प्रयास करें। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को सलाह दी कि वे कंपनी के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुशल नेतृत्व करें।