नई दिल्ली:स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के निदेशक मण्डल द्वारा आज वित्त वर्ष 2014-15 के लिए अंकेक्षित वित्तीय परिणाम को रिकार्ड पर लिया गया। सेल ने चौथी तिमाही में 37.2 लाख टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 33.8 लाख टन उत्पादन की तुलना में 10% अधिक है। वित्त वर्ष 2014-15 की चौथी तिमाही में कर पश्चात लाभ रुपया 334 करोड़ रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह लाभ रुपया 453 करोड़ था।
एक ऐसे समय में, जबकि बाजार परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण रहीं, सेल ने अपने उत्पादन को कयम रखा और उत्पादन बढ़ाने, तकनीकी आर्थिक मानकों को बेहतर करने तथा नीतिगत रणनीतिक पहलों को लागू करने के जरिये विपरीत परिस्थितियों का डटकर का मुक़ाबला किया है। सेल ने वित्त वर्ष 2014-15 में अब तक का सर्वाधिक कंटीन्यूअस कॉस्टिंग उत्पादन 103.4 लाख टन अर्जित किया है, जो पिछले वर्ष के पिछले सर्वश्रेष्ठ उत्पादन 98 लाख टन से 6% अधिक है। वित्त वर्ष 2014-15 में कोक दर और विशिष्ट ऊर्जा खपत भी क्रमश: 504 किलोग्राम/टन हॉटमेटल और 6.52 गीगा कैलोरी/टन कच्चा इस्पात भी अब तक का सर्वाधिक दर्ज किया गया।
वित्त वर्ष 2014-15 के लिए कर पश्चात लाभ रुपया 2,093 करोड़ रहा। पिछले वर्ष की इसी अवधि में कर पश्चात लाभ रुपया 2,616 करोड़ था। सेल का वित्त वर्ष 2014-15 में सकल कारोबार रुपया 50,627 करोड़ रहा। सेल का वित्त वर्ष 2013-14 में सकल कारोबार 51,866 करोड़ था। कंपनी का 31 मार्च, 2015 को निवल मूल्य रुपया 43,505 करोड़ रहा, जबकि 31 मार्च, 2014 को यह रुपया 42,666 करोड़ था। सेल ने वित्त वर्ष 2014-15 में वर्ष-दर वर्ष 15% उच्च ब्याज, मूल्य ह्यस कर एवं एमाइटाइजेशन से पूर्व आय (EBIDTA) हासिल किया है, जिसमें पिछले वित्त वर्ष के दौरान “मेसर्स वाले” से असाधारण मद के रूप में सेल के पक्ष में आया फैसला शामिल नहीं है।
सेल ने अपने राउरकेला और इस्को इस्पात संयंत्र में आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण कार्यक्रम को पूरा करने बाद एकीकृत प्रचालन को शुरू कर दिया है। वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान करीब रुपया 10,000 करोड़ लागत की परियोजनाओं का प्रचालन शुरू हो गया है, जिसमें इस्को इस्पात संयंत्र में अत्याधुनिक 4160 घन मीटर का ब्लास्ट फर्नेस “कल्याणी” शामिल है।
इस अवसर पर सेल अध्यक्ष श्री सी एस वर्मा ने कहा, “हॉट मेटल की उत्पादन क्षमता 140 लाख टन से बढ़ाकर 194 लाख टन करने के बाद, सेल अपने आधुनिकृत इकाईयों में प्रचालन के स्थायित्व और संयोजन पर बल दे रहा है। यह ऐसे अनुकुल समय पर सामने आया है, जब सरकार की विकासोन्मुखी नीतियों द्वारा एक सकारात्मक माहौल बना हुआ है, जिससे हमें यकीन है कि निकट भविष्य में बाज़ार की दशा शीघ्र बदलेगी। विश्व इस्पात संघ ने भी भारत के लिए अपने दृष्टिकोण में इसी तरह की संभावनाओं को व्यक्त किया है।”