नई दिल्ली : आज नई दिल्ली में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के मुख्यालय इस्पात भवन में, उन 15 भारतीय इस्पात और खनन कंपनियों के प्रतिनिधि सेल के आमंत्रण पर अपने भविष्य की कार्यवाही पर विचार विमर्श करने के लिए मिले, जो हाल ही में अफगानिस्तान के दौरे पर, अफगानिस्तान के हाजिगक में लौह अयस्क के निरीक्षण के लिए गए थे। सेल समेत ये भारतीय कंपनियां,उन 22 कंपनियों में से हैं, जिन्हें अफगानिस्तान के खनन मंत्रालय ने 62-63 प्रतिशत fe के कंटेन्ट के साथ उच्च गुणवत्ता के मैग्नेटाइट वाले करीब 1.8 बिलियन टन की क्षमता वाले हाजिगक में खनन अधिकार प्रदान करने के लिए सूचीबद्ध किया है। अफगानिस्तान सरकार ने लौह अयस्क के खनन से लेकर इस्पात बनाने समेत वर्टिकली इंटीग्रेटेड प्रोसेस तक में विकास योजनाओं का प्रस्ताव रखने वाली कंपनियों को प्राथिमिकता देने का संकेत दिया है।
आज की बैठक में भारतीय प्रतियोगियों ने हाजिगक भंडार के लिए मुख्य पहलुओं पर चर्चा की और अफगान तथा भारत सरकार के साथ विमर्श किए जाने वाले प्रमुख मुद्दों की पहचान की। इसमें मुख्य सरोकार सुरक्षा समस्या, असत्कारशील क्षेत्र, आधारभूत संरचना की कमी और प्रशिक्षित मानवसंसाधन इत्यादि से संबन्धित हैं। स्थानीय कानून,निविदा नियम और शर्तें,आधारभूत संरचना विकास, अयस्क का निस्तारण, रणनीतिक चुनौतियों इत्यादि जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। खनन अधिकार हेतु बोली लगाने के लिए कॉन्सोर्शियम बनाने की संभवना पर भी विचार विमर्श हुआ।
सेल ने अन्य प्रमुख कंपनियों के साथ सहक्रियात्मकता और संयुक्त बोली के जरिये जोखिम कम करने की रणनीति की पहचान की संभावना के लिए कॉन्सोर्शियम बनाने पर विमर्श किया। अगर अन्य कंपनियां अयस्क के खनन और उनके निस्तारण के लिए अधिक इच्छुक हैं, सेल अफगानिस्तान में इस्पात संयंत्र स्थापित करने की तीव्र इच्छा रखता है। यह इस बात निर्भर करता है कि अफगानिस्तान आधारभूत सहायता और कच्चे माल का स्रोत प्रदान करे। सेल अध्यक्ष श्री सी एस वर्मा,इस संबंध में पहले ही अफगान खनन मंत्री श्री वाहिदुल्लाह शहरनी से उनके हाल ही के भारत दौरे के दौरान चर्चा कर चुके हैं। अफगान सरकार ने इस प्रस्ताव में तीव्र इच्छा जताई है। सेल अध्यक्ष श्री वर्मा ने कहा “यह सेल के वैश्विक बनने की यात्रा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।”
हाजिगक लौह अयस्क भंडार काबुल से 130 किलोमीटर पश्चिम पहाड़ी बामियन प्रांत में अवस्थित है। 1960 ई. में रशियन जिओलॉजिस्ट और उसके बाद अमेरिकन एजेंसियों द्वारा किए गए सर्वेक्षण में भंडारण 16 स्प्रेड में पाया गया। सोवियत संसाधन अध्ययन बताते है कि भंडार पीट खनन तकनीकी से आसानी से ओपेन किए जा सकते हैं।
भारतीय कंपनियों के हाजिगक दौरे के दौरान अफगानिस्तान सरकार ने आगुन्तकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उस स्थान पर कठोर सुरक्षा उपाय किए थे। भारतीय राजदूत श्री गौतम मुखोपध्याय और अफगान खनन मंत्री भारतीय प्रति निधिमंडल से मिले और उनके द्वारा हाजिगक के विकास में रुचि दिखाने के लिए सराहना की।