स्टील अथाॅरिटी आॅफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) ने कच्चे माल की काफी अधिक लागत और मंदीग्रस्त बाज़ार परिस्थितियों के कारण कम विक्रय के बावजूद वर्तमान वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में लाभार्जन जारी रखा। परन्तु वर्तमान वित्त वर्ष की प्रथम दो तिमाहियों में प्राप्त लाभ की अपेक्षा, सेल की तीसरी तिमाही का 843 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ विगत वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 56 प्रतिशत की कमी दिखाता है।
कंपनी के निदेषक मंडल द्वारा वित्त वर्ष 2008&09 की तीसरी तिमाही के आज यहां रिकार्ड में लिये गये अनंकेक्षित वित्तीय परिणामों के अनुसार, इस्पात के इस प्रमुख संगठन ने तीसरी तिमाही में 1257 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ प्राप्त किया, जो विगत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 57 प्रतिशत कम है। यद्यपि सेल की तीसरी तिमाही में 9946 करोड़ रुपये का कारोबार विगत वर्ष की इसी अवधि की अपेक्षा 7-5 प्रतिशत कम था। इस तरह, वित्त वर्ष 2008&09 के प्रथम नौ महीनों में 35674 करोड़ रुपये का सर्वाधिक कारोबार दर्ज किया गया - विगत वर्ष की इसी अवधि की अपेक्षा 18-8 प्रतिशत की वृद्धि। कंपनी ने इस अवधि मे 4688 करोड़ रुपये का कर उपरांत लाभ दर्ज किया, जो विगत वर्ष की इसी अवधि की अपेक्षा 9-1 प्रतिशत कम है।
कंपनी के लाभ पर खास तौर से आयातित एवं घरेलू कोकिंग कोयले, फेरो अलाॅयज़ इत्यादि, कच्चे माल की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी की प्रमुख वजह से प्रभाव पड़ा है। अकेले कोकिंग कोयले की ऊंची कीमतों के कारण अनुमानित रूप से 2641 करोड़ रूपये का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, तीसरी तिमाही में बाज़ार में मंदी के कारण, विक्रय की मात्रा गिर कर 24 लाख टन रहने से भी लाभ प्रभावित हुआ। वर्ष की प्रथम छमाही की तुलना में, कच्चे माल की ऊंची लागत और कम विक्रय प्राप्तियों की दोहरी वजह से लाभ प्रभावित हुआ।
पिछली तिमाही की अपेक्षा कच्चे माल की ऊंची लागत और बाज़ार मंदी के प्रभाव को कुछ हद तक अनेक उपायों और हस्तक्षेपों के जरिये बेअसर किया जा सका। इनमें कोकिंग कोल ब्लैंड में आयातित कोकिंग कोयले के उपयोग में 6 प्रतिशत की कमी, कोल डस्ट इंजेक्शन 14 प्रतिशत बढ़ाकर कोकिं्रग कोयला खपत की लागत में कमी, वैकल्पिक ईंधन के रूप में टाॅर का प्रयोग शामिल है। वर्ष के दौरान कोक दर में 2 प्रतिशत से अधिक और ऊर्जा खपत में 4 प्रतिशत की कमी जैसे तकनीकी-आर्थिक मानकों में सुधार एवं अनेक अन्य लागत दक्षता उपायों के कारण की बचत की जा सकी, जिनके फलस्वरूप तिमाही के दौरान लगभग 275 करोड़ रुपये की बचत हुई है। विगत तिमाहियों में बढ़ती जा रही जनशक्ति लागत को भी स्थिर रखने के प्रयास किये गये ।
तीसरी तिमाही में, सेल ने बाज़ार मांग के अनुरूप उत्पादन किया और 30-2 लाख टन विक्रेय इस्पात का कम उत्पादन होने के बावजूद क्षमता उपयोग 110 प्रतिशत हुआ। तिमाही के दौरान कम कीमत प्राप्तियों के कारण प्रतिकूल प्रभाव को बेअसर करने में, मूल्य संवर्धित इस्पात का अधिक अंश एवं बेहतर उत्पाद श्रृंखला से 400 करोड़ रुपये से अधिक की मदद मिली।
निदेशक मंडल ने 13 प्रतिशत (1-3 रुपये प्रति शेयर) की दर से 537 करोड़ रुपये की राशि अंतरिम लाभांश अदायगी के लिए मंजूर किये हैं, जिसमें से भारत सरकार का अंश 461 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, सरकार को लगभग 90 करोड़ रुपये बतौर लाभांश कर के रूप में भी दिये जायेंगे ।