नई दिल्ली: महारत्न कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के शेयरधारकों ने आज यहां कंपनी की 38वीं वार्षिक आमसभा में सेल के साथ महाराष्ट्र इलेक्ट्रोस्मेल्ट लिमिटेड (एमईएल) की विलयन योजना को सर्वसम्मति से मंजूरी प्रदान की है। विलयन योजना कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 391- 394 के तहत निगमित मामले मंत्रालय के विचाराधीन है। सेल के शेयरधारकों ने चुकता इक्विटी के 17 प्रतिशत अंतिम लाभांश भुगतान हेतु कंपनी के निदेशक मंडल की अनुशंसा को भी मंजूरी दी । इस वर्ष शुरू में 16 प्रतिशत अंतरिम लाभांश का भुगतान पहले ही कर दिया गया है, जिससे शेयरधारकों को वर्ष 2009-10 के लिए कुल देय लाभांश चुकता पूंजी का 33 प्रतिशत हो गया है ।
वार्षिक आमसभा में सेल अध्यक्ष श्री सी. एस. वर्मा ने कंपनी के शेयरधारकों को बताया कि सरकार ने सेल के शेयर्स के 10 प्रतिशत फर्दर पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को मंजूरी दे दी है और कंपनी ने सरकार की 10 प्रतिशत शेयरधारिता के विक्रय (विनिवेश) हेतु ऑफ़र दो चरणों में किया जायेगा। दो समान चरणों में कुल इश्यू में 41.3 करोड़ शेयर का नया इश्यू एवं सेल में समकक्ष राशि की सरकार की अपनी शेयरधारिता का विनिवेश शामिल होगा। प्रत्येक चरण में एफपीओ का 5 प्रतिशत (अर्थात् 20.65 करोड़ शेयर्स) एवं सेल में सरकार की शेयरधारिता का 5 प्रतिशत विनिवेश शामिल होगा। ये ऑफर सेबी दिशानिर्देशों एवं विद्यमान बाजार परिस्थितियों पर विचार करते हुए समुचित समय पर जारी किये जाने हैं। सरकार एवं नियामक मंजूरियों के अधीन पहला चरण 2010-11 के दौरान बाजार में उतारने की संभावना है।
श्री वर्मा ने यह भी बताया कि आगामी वर्षों में अपने इस्पात कारखानों एवं खानों की बढ़ी हुई बिजली जरूरत पूरा करने के लिए कंपनी ने अतिरिक्त बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिए योजनाएं बनाई हैं। उन्होंने कहा, “सेल में बिजली की लगभग 1180 मेगावाट की वर्तमान जरूरत 2012-13 तक बढ़ कर लगभग 1900 मेगावाट होने की आशा है। खानों की बिजली जरूरत समेत, इस्पात कारखानों की औसत बिजली मांग 2020 तक बढ़ कर लगभग 4600 मेगावाट होने की आशा है। सेल इस जरूरत को पूरा करने के लिए चरणबद्ध तरीके से विद्युत उत्पादन क्षमता स्थापित करेगा । पहले चरण में, लगभग 1725 मेगावाट क्षमता स्थापित करने की योजना है और शेष दूसरे चरण में स्थापित की जायेगी।
कंपनी के अल्पकालीन दृष्टिकोण के बारे में शेयरधारकों को बताते हुए, श्री वर्मा ने कहा कि बढ़ती हुई निवेश लागत को बेअसर करने के लिए सेल ने सम्पूर्ण संगठन में उत्पादकता सुधारने पर बल दिया है, “इस प्रक्रिया में लोगों के साथ-साथ उत्पादन सुविधायें एवं प्रविधियां शामिल की गई हैं”। सन् 2012-13 तक सेल के आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण का प्रथम चरण पूर्ण होने के उपरांत 235 लाख टन तप्त धातु का उत्पादन करने के लिए लगभग 430 लाख टन बढ़ी हुई लौह अयस्क की जरूरत को पूरा करने के लिए, कंपनी अपनी मौजूदा निजी खानों से उत्पादन बढ़ाने के अलावा, चिरिया एवं गुआ खानों की लीज का शीघ्र नवीकरण के मसले पर जोर-शोर से प्रयास कर रही है। रावघाट खान का तेजी से विकास करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से भी सम्पर्क किया जा रहा है। कोकिंग कोयला, कम सिलिका युक्त लाइम स्टोन एवं डोलोमाइट जैसे अन्य कच्चे माल की जरूरत को पूरा करने के लिए, कंपनी स्वयं के प्रयासों से एवं अपनी संयुक्त उद्यम कंपनियों के जरिये भी निवेश परिसम्पत्तियों का अधिग्रहण कर रही है। श्री वर्मा ने कहा, ”विदेशों में कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के आशय से, आपकी कंपनी ने कोयला परिसम्पित्तयों का अधिग्रहण करने के लिए सीआईएल, आरआईएनएल, एनएमडीसी एवं एनटीपीसी के साथ मिल कर इंटरनेशनल कोल वैंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईसीवीएल) की संयुक्त रूप से स्थापना की है। आईसीवीएल वर्तमान रूप से ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मोजाम्बिक एवं संयुक्त राज्य अमरीका में कोयला खानों में इक्विटी सहभागिता अधिगृहित करने के प्रस्तावों की सक्रिय रूप से जांच कर रही है”।
श्री वर्मा ने शेयरधारकों को अपने संबोधन में कहा कि कच्चे माल के स्रोत तलाशने के अलावा, ”सेल अपना विस्तार करेगा और विदेशों में अपने उत्पादों के विपणन के लिए अवसरों को तलाशेगा”। ”अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशियाई जैसे विकासशील देश अपनी आर्थिक विकास योजनाओं के तहत विशाल बुनियादी परियोजनायें लगाने जा रहे हैं । इससे सेल को अपने उत्पादों के लिए अच्छा बाजार मिल सकता है जिसका सेल दोहन किया जा सकता है। आगामी वर्षों में आपकी कंपनी एक वैश्विक कपनी बनने का इरादा रखती है“।
सेल शेयरधारकों को यह भी बताया गया कि कंपनी अपनी उत्पाद श्रृंखला में मूल्य संवर्धित मदों के लगभग 37 प्रतिशत के वर्तमान स्तर को बढ़ा कर लगभग 50-55 प्रतिशत करना चाहती है। श्री वर्मा ने कहा, “जहां हमारी आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण योजना काफी हद तक इस प्रयास को अनेक ऐसी सुविधायें चालू कर पूरा करेगी, जिनसे विश्व स्तरीय इस्पात का उत्पादन होगा और जो उच्च-स्तरीय उपभोक्ता वस्तुओं एवं मोटर वाहन जैसे बेहतर औद्योगिक क्षेत्रों की मांग पूरी करेगा, वहीं ऐसे उत्पादों के विकास के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं जिनसे अनुसंधान एवं विकास के जरिये बाजार में अच्छे दाम प्राप्त किये जा सकेंगे“।
सेल अध्यक्ष ने कहा कि कंपनी का एक अन्य प्रमुख क्षेत्र जिस पर बल दिया जाना है वह टेक्नोलाॅजी नेतृत्व होगा। इसके लिए, सेल ने दीर्घकालीन आधार पर प्रौद्योगिकीय प्रयासों को बढ़ाने के लिए अनेक सामरिक पहल की हैं। उदाहरण देते हुए, श्री वर्मा ने कहा कि पाॅस्को, कोरिया के साथ सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किये गये और विस्तृत संभाव्यता अध्ययन किया जा रहा है जिससे पता लगाया जायेगा (क) इस्पात उत्पादन के लिए लौह अयस्क चूर्ण का उपयोग करने वाली फीनेक्स टेक्नालाॅजी पर आधारित अपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम अवसरों की तलाश और (ख) सीआरएनओ स्टील का उत्पादन एवं वाणिज्यिक विक्रय। इसके अलावा, नगेट्स के रूप में प्रीमियम ग्रेड लोहे का उत्पादन करने के लिए आईटीएमके3 टेक्नोलाजी की तकनीकी एवं आर्थिक संभाव्यता तलाशने के लिए जापान के कोबे स्टील के साथ सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किये गये। उन्होंने आगे कहा कि अन्य अग्रणी इस्पात निर्माताओं के साथ भी इस्पात एवं संबंधित क्षेत्रों में भी टेक्नोलाजी हस्तक्षेप पर भी विचार विमर्श किये गये।
श्री वर्मा ने अन्य सामरिक पहल के बारे में बताते हुए, इस साल मई में शिपिंग काॅरपोरेशन ऑफ इण्डिया के साथ मिल कर स्थापित संयुक्त उद्यम शिपिंग कंपनी का जिक्र किया जो आरम्भिक रूप से 12 लाख टन सेल के कार्गो का बड़ी मात्रा में परिवहन करेगी। इसे बाद में बढा़ कर 40 लाख टन वार्षिक किया जायेगा। श्री वर्मा ने राइट्स लिमिटेड के साथ संयुक्त उद्यम करार के बारे में भी बताया। इसके तहत पश्चिम बंगाल के कुल्टी में वैगन विर्निर्माण यूनिट की स्थापना की जायेगी जिसकी वार्षिक क्षमता 1500 वैगन तैयार करने की होगी। यह यूनिट सेल के कुल्टी स्थित ग्रोथ वक्र्स डिवीजन के परिसर में 85 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से तैयार की जायेगी । यह अत्याधुनिक कारखाना आरम्भिक रूप से प्रतिवर्ष 1200 वैगन के विनिर्माण एवं 300 वैगन के पुनर्निर्माण करने की सुविधा से युक्त होगा। यह कारखाना बाॅक्सएन किस्म के वैगनों के विनिर्माण के अलावा, कारखाना एवं मशीनरी में तनिक निवेश के साथ विशिष्ट उच्च-स्तरीय वैगनों एवं आधुनिक स्टेनलेस स्टील वैगनों का उत्पादन करने में भी समर्थ होगा।