- चैथी तिमाही के कारोबार में तीसरी तिमाही के मुकाबले 7 प्रतिशत वृद्धि
- चैथी तिमाही का कर पूर्व एवं कर उपरांत लाभ तीसरी तिमाही के मुकाबले क्रमशः 34 प्रतिशत तथा 36 प्रतिशत बढ़ा
- अब तक का सर्वाधिक मूल्य संवर्धित/विशेष इस्पात का उत्पादन - चैथी तिमाही में 6 प्रतिशत एवं वित्त वर्ष में 3 प्रतिशत वृद्धि
- चैथी तिमाही में पूंजीगत खर्च रु3278 करोड़ जो 13 प्रतिशत अधिक है, पूर्ण वर्ष में रु11000 करोड़ से अधिक खर्च
- कंपनी का निवल मूल्य रु37600 करोड़ से अधिक
- 241 टन/प्रति व्यक्ति/वर्ष की अब तक की सर्वाधिक श्रम उत्पादकता
नई दिल्ली: स्टील अथाॅरिटी आॅफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के निदेशक मंडल द्वारा आज यहां रिकार्ड में लिये गये कंपनी के अनंकेक्षित वित्तीय परिणामों में वर्ष दर वर्ष 7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ रु47042 करोड़ का कारोबार दर्ज किया। वित्त वर्ष‘11 में सेल ने जनवरी-मार्च (चैथी तिमाही) में रु13137 करोड़ का कारोबार किया, जो विगत तिमाही के मुकाबले 7 प्रतिशत और विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 1 प्रतिशत अधिक है।
बाजार में उतार-चढ़ाव एवं मांग मे अनिश्चितताओं के बावजूद बेहतर विक्रय वसूलियों के कारण चैथी तिमाही के दौरान कंपनी की लाभप्रदता में सुधार हुआ । कंपनी का रु2188 करोड़ का कर पूर्व लाभ तीसरी तिमाही के मुकाबले 34 प्रतिशत अधिक रहा, जबकि रु1507 करोड़ का कर उपरांत लाभ विगत तिमाही के मुकाबले 36 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। परन्तु वित्त वर्ष के दौरान कच्चे माल, खास तौर से कोयले की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी से चैथी तिमाही के कर पूर्व लाभ एवं कर उपरांत लाभ पर वर्ष दर वर्ष की तुलना में प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जो विगत वर्ष की इसी अवधि की तुलना मे क्रमशः 29 प्रतिशत एवं 28 प्रतिशत कम हुए।
वार्षिक आधार पर, कच्चे माल की लागत में बढ़ोत्तरी से वित्त वर्ष‘11 में सेल के वित्तीय कार्यनिष्पादन पर लगभग रु3718 करोड़ का प्रभाव पड़ा, जिसमें से रु3100 करोड़ महज आयातित कोकिंग कोयले की कीमतों में वृद्धि के कारण हुआ। देशज कोयले की कीमतों में यह वृद्धिवृ350 करोड़ रही । इसके अलावा, 2010-11 के दौरान उच्च वेतन एवं पारिश्रमिक के कारण कंपनी को रु2200 करोड़ का अतिरिक्त भार उठाना पड़ा। वित्त वर्ष‘11 में वर्ष दर वर्ष 29 प्रतिशत की गिरावट के साथ रु7157 करोड़ का कर पूर्व लाभ एवं 28 प्रतिशत की कमी के साथ रु4881 करोड़ का कर उपरांत लाभ के लिए उक्त कारण एवं सपाट उत्पादों की बाजार मांग में कमजोरी प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहे।
सेल निदेशक मंडल ने आज कंपनी के शेयरधारकों को कोई अंतिम लाभांश की सिफारिश नहीं की क्योंकि कंपनी के खातों का सरकारी लेखा परीक्षण चल रहा है । लाभांश की घोषणा खातों को अंतिम रूप दिये जाने के बाद की जायेगी।
सेल के कारखानों ने 126 प्रतिशत क्षमता उपयोग करते हुए चैथी तिमाही के दौरान 3.43 मिलियन टन विक्रेय इस्पात का उत्पादन किया, जो विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 5 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष‘11 के दौरान 116 प्रतिशत क्षमता उपयोग करते हुए 12.89 मिलियन टन विक्रेय इस्पात के उत्पादन में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा, जो विगत वर्ष के मुकाबले 2 प्रतिशत अधिक है। मूल्य संवर्धित एवं विशेष इस्पात के उत्पादन पर बल कायम रखते हुए, सेल ने चैथी तिमाही में 1.26 मिलियन टन मूल्य संवर्धित उत्पादों का उत्पादन किया, जो अब तक की सर्वाधिक चैथी तिमाही एवं विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 6 प्रतिशत अधिक है। इन उच्च मूल्य मदांे का 4.8 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन भी अब तक का सर्वश्रेष्ठ है, जो वित्त वर्ष‘10 के मुकाबले 3 प्रतिशत अधिक है। इलेक्ट्रॅाड क्वालिटी वायर राॅड्स (37 प्रतिशत), हाई टेनसाइल प्लेट्स (29 प्रतिशत), टीएमटी -एचसीआर वायर राॅड्स एवं राउण्ड्स (34 प्रतिशत), एलपीजी एचआर काॅयल्स/शाीट्स (12 प्रतिशत), सेलकाॅर एचआर/सीआर उत्पाद (69 प्रतिशत), 90-यूटीएस रेल्स (2 प्रतिशत) इत्यादि जैसी मदों के उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज की गई।
सेल की आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत चैथी तिमाही में रु3278 करोड़ का पूंजीगत खर्च किया गया, जो विगत वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 13 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष‘11 के दौरान कंपनी का पूंजीगत खर्च रिकार्ड रु11280 करोड़ पहुंचा, जो विगत वर्ष के मुकाबले 6 प्रतिशत अधिक है। सेलम इस्पात कारखाने की आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत समस्त प्रमुख सुविधाओं को निश्चित समय सितम्बर 10 में पूर्ण कर लिया गया और अब इनसे नियमित उत्पादन के लिए स्थायित्व की प्रक्रिया चल रही है। बोकारो इस्पात कारखाने की ब्लास्ट फर्नेस 2 भी नवीकृत कर जुलाई 10 में चालू कर दी गई है। बर्नपुर स्थित इस्को इस्पात कारखाने में सिंटर प्लांट, पिग कास्टिंग मशीन, मेन रिसीविंग स्टेशन एवं आॅक्सीजन प्लांट जैसी कुछ प्रमुख नई सुविधायें चालू होने वाली हंै। वर्ष के दौरान पूर्ण की जाने वाली गुणवत्ता में सुधार, मौजूदा सुविधाओं का नवीकरण, प्रतिस्थापना इत्यादि से जुड़़ी योजनाओं में शामिल हैंः भिलाई इस्पात कारखाने की प्लेट मिल का नवीकरण, राउरकेला में 700 टन प्रतिदिन क्षमता के आॅक्सीजन प्लांट की स्थापना एवं एसएमएस 2 में कनवर्टरों की एक साथ ब्लोइंग एवं बर्नपुर में कोक ओवन बैटरी 10 का पुनर्निर्माण।
आधुनिकीरण एवं विस्तारीकरण की समय सारणी पर कायम रहने की दृष्टि से पूंजीगत खर्च जुटाने के लिए सेल ने वित्त वर्ष‘11 के दौरान बाजार से लगभग रु3650 करोड़ ऋण उठाया। 31.03.2011 को कंपनी पर कुल ऋण रु20162 करोड़ था, जिससे कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात 0.54: 1 हो गया है । सावधिक जमा के रूप में कंपनी का कैश रिजर्व 31.03.2011 को रु17000 करोड़ से अधिक था। 31.03.2011 को सेल का निवल मूल्य रु37622 करोड़ था जबकि एक वर्ष पूर्व यह राशि रु33317 करोड़ थी। मानवीय संसाधन के अनुकूलन पर सेल द्वारा बल दिये जाने से सेल की सकल जनशक्ति में लगभग 6000 की कमी आई, जो लगभग 1750 कर्मियों की नई भर्ती के बावजूद प्रमुख रूप से नैसर्गिक सेवा निवृत्ति के जरिये ही हुई है। इसके फलस्वरूप वित्त वर्ष‘11 में सेल के कारखानों में श्रम उत्पादकता वित्त वर्ष‘10 में प्राप्त पूर्व सर्वश्रेष्ठ 226 टन प्रति व्यक्ति/वर्ष से बढ़कर 241 टन प्रति व्यक्ति/वर्ष हुई, जो कंपनी की स्थापना से लेकर अब तक का सर्वोच्च उत्पादकता है ।
वित्त वर्ष‘11 कच्चे माल की सुरक्षित आपूर्ति प्राप्त करने की दृष्टि से एक विशेष वर्ष रहा। झारखण्ड के चिरिया आयरन ओर माइंस के अजिताबुरू, बुद्धाबुरू और सुकरी-लातुर की लीज़ के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा मार्च ‘11 में वानिकी स्वीकृति प्रदान करने से अगले 50 वर्षों की सेल की लगभग 40 प्रतिशत लौह अयस्क मांग पूरी होने के लिए एक धरातल मिल गया है। चिरिया में अत्याधुनिक यंत्रीकृत माइन के विकास के लिए कंपनी ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है, जो आरम्भ में 7 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता की होगी। इसके लिए सेल ने एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए विश्व विख्यात परामर्शदाता - मैसर्स हैच एसोसियेट्स आॅफ आॅस्ट्रेलिया को नियुक्त किया है जो लौह अयस्क का दक्षतापूर्वक उपयोग करने के लिए आज विश्व में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ बेनफिसियेशन टेक्नोलाॅजी प्रदान करेगा। चिरिया माइंस के विकास के लिए लगभग रु5000 करोड़ की अनुमानित लागत आयेगी। सेल ने अक्टूबर 10 में एकीकृत बरसुआ-टालडीह-काल्टा लौह अयस्क खानों की खनन क्षमता को वर्तमान 3.8 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़ा कर 8.05 मिलियन टन प्रति वर्ष (बेनिफिसियेशन एवं पैलेटाइजेशन सुविधाओं के साथ) करने एवं दिसम्बर 10 में सीतानाला कोकिंग कोयला ब्लाॅक का विकास करने के लिए भी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से स्वीकृति प्राप्त कर ली है। सीतानाला में 0.3 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की भूमिगत खान का विकास करने के लिए प्रयास जारी हैं। सितम्बर 10 में, छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ाद्वार लीज़ के नवीकरण के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है, इस खान में लो- सिलिका डोलोमाइट का लगभग 75 मिलियन टन का भंडार है।
अनेक नई सामरिक पहल और गठबंधनों ने भी वित्त वर्ष‘11 को सेल के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष बनाया है। प्रमुख घटनाक्रमों में निम्न शामिल हैं:
- राइट्स के साथ एक संयुक्त उपक्रम के रूप में कुल्टी स्थित सेल ग्रोथ वक्र्स में रेलवे बैगन विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए परियोजना संबंधी गतिविधियां शुरू हो गई हैं। सेल-राइट्स बंगाल वैगन इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड नामक नव निगमित कंपनी के तहत यह इकाई प्रति वर्ष 1200 वैगनांे का विनिर्माण एवं 300 वैगनों का पुनर्निर्माण करेगी। इस कारखाने में मार्च 12 तक काम शुरू होने की आशा है।
- नेशनल गैस ग्रिड से जगदीशपुर स्टील यूनिट नजदीक होने के कारण, सेल जापान के कोबे स्टील से गैस आधारित डीआरआई टेक्नोलाॅजी और मूल्य संवर्धित उत्पादों के साथ इस्पात उत्पादन के लिए इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस का उपयोग करते हुए 1.5 मिलियन टन वार्षिक क्षमता का एक इस्पात कारखाना लगाने के लिए बातचीत कर रहा है। 1000 मेगावाट क्षमता का गैस आधारित विद्युत संयंत्र स्थापित करने की संभाव्यता की भी जांच की जा रही है।
- सेल और बर्न स्टैण्डर्ड कंपनी लिमिटेड (बीएससीएल) ने कास्ट स्टील बोगी, कपलर्स एवं अन्य संबंधित उत्पादों के विनिर्माण के लिए एक फैक्टरी स्थापना हेतु सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किये। यह इकाई बीएससीएल के स्वामित्व में जेलिंघम, पश्चिम बंगाल में लगभग 128 एकड़ लीज़ होल्ड जमीन पर स्थापित की जायेगी। भारतीय रेल ने 10 वर्ष की अवधि के लिए प्रति वर्ष औसतन 5000 बोगी एवं इतनी ही संख्या में कपलर्स लेने का आश्वासन दिया है।
- सेल की सहायक कंपनी, महाराष्ट्र इलेक्ट्रोस्मेल्ट लिमिटेड (एमईएल) को मूल कंपनी में विलयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। विलयन का आदेश शीघ्र आने की आशा है।
विगत वर्षों की अपनी परंपरा पर कायम रहते हुए, सेल के कर्मचारियों को सितम्बर 10 में प्रदत्त वर्ष 2008 के कुल 28 विश्वकर्मा राष्ट्रªीय पुरस्कारांे में से 15 पुरस्कार प्राप्त करने का श्रेय मिला है । सितम्बर 10 में ही वर्ष 2005, 2006 और 2007 के 179 प्रधानमंत्री श्रम पुरस्कार विजेताओं मे से 56 सेल कर्मी थे। उत्कृष्टता की मशाल आगे ले जाते हुए, सेल कर्मचारियों ने अगस्त 10 में घोषित वर्ष 2008 के श्रम पुरस्कारों में व्यापक मान्यता प्राप्त करते हुए 52 में से 24 पुरस्कार अपने नाम किये। सेल की सुस्थापित मौलिक शक्तियों को अग्रणी राष्ट्रªीय स्तर के संगठनों से भी मान्यता मिली है। इनमें लौह एवं इस्पात क्षेत्र संवर्ग में पहला वाॅकहर्ड शाइनिंग स्टार सीएसआर पुरस्कार और ‘सर्वश्रेष्ठ मानव संसााधन प्रबंधन‘ एवं ‘अनुसंधान और विकास, टेक्नोलाॅजी विकास तथा आविष्कार‘ के लिए इण्डियन चैम्बर आॅफ काॅमर्स द्वारा प्रस्तुत दो पीएसयू एक्सीलेंस पुरस्कार शामिल हैं।
वित्त वर्ष ‘11 के दौरान कंपनी की उपलब्धियों पर बोलते हुए सेल अध्यक्ष श्री सी.एस. वर्मा ने कहाः “तिमाही दर तिमाही कार्यनिष्पादन में महत्वपूर्ण बढ़ोŸारी मानव एवं प्रक्रियाओं के क्षेत्र में हमारी सामरिक पहल की सफलता का स्पष्ट परिचायक है। कर्मियों पर ध्यान देने से, आश्चर्यजनक ढंग से कार्य के प्रति समर्पित खुशहाल कार्यदल से अब तक की सर्वोच्च श्रम उत्पादकता मिली है । हमारी आर्गेनिक विकास योजनायें इच्छित गति से सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं और इस्पात की मांग भारी मात्रा में बढ़ने की संभावना को देखते हुए कुछ समय की बात है कि हम नई सुविधाओं से पूर्ण लाभ उठाने लगेंगे। एक वैश्विक निर्माता बनने के सेल के स्वप्न को साकार करने के लिए, हम इन आर्गेनिक रूट एवं सामरिक गठबंधनों को अपनाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुआयामी मोर्चाें पर कार्य कर रहे हैं, जिसका ध्येय बैकवर्ड, फाॅरवर्ड एवं लेटरल इंटीग्रेशन है। आगामी महीनों में, हमारे शेयरधारक एवं शुभचिंतक एक नये सेल - एक वैश्विक सेल का उदय देखेंगे।“